कहानी : फिरंगी की कहानी आजादी से पहले 1920 में पंजाब के एक गांव की
पृष्ठिभूमि पर रची गई है। इस दौर के अविभाजित पंजाब कते छोटे से गांव में
रहने वाले मंगा (कपिल शर्मा) किसी काम का नहीं है। परिवार के लाख कोशिशों
के बावजूद उसे नौकरी नहीं मिलती। अब जबकि नौकरी नहीं है तो शादी होने का तो
सवाल ही नहीं उठता। उसकी जिंदगी को एक नयी दिशा मिल जाती है जब अपने दोस्त
की शादी में उसकी मुलाकात बगल के गांव की लडकी सरगी (इशिता दत्ता) से होती
है।
मंगा को पहली नजर में ही प्यार हो जाता है लेकिन वो जानता है
कि जब तक नौकरी नहीं मिलती तब तक सरगी उसकी बीवी नहीं बन सकती। किस्मत से
उसे ब्रिटिश पुलिस ऑफिसर डेनियल के यहां नौकरी मिल जाती है। नौकरी मिलने पर
मंगा को बहुत गर्व महसूस होता है और लोगों का नजरिया भी उसकी तरफ बदल जाता
है। सरगी के माता-पिता भी इम्प्रेस होते हैं लेकिन उसके दादाजी जो
अंग्रेजों से देश को आजाद कराने की कोशिश में जुटे हुए हैं वो इस नौकरी के
खिलाफ हैं। उनका मानना है कि अंग्रेजों का काम करने वाला मंगा अंग्रेजों से
कम नहीं है। इसके बाद सरगी के गांव में ऐसा कुछ हो जाता है कि लोग मंगा पर
उंगलियां उठाने लगते हैं। कहानी में आगे क्या होता है इसलिए आपको
सिनेमाघरों की ओर रुख करना पडेगा।
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