ऐसे में बाबू और उसकी दोस्ती बढ़ती जाती है। एक दिन उनको तीन मर्डर करने का कॉन्ट्रैक्ट मिलता है और शर्त लगती है। जब बाबू शर्त जीतने लगता है तब चेला याने जतिन बाबू को गोली मार देता है और वह एक मशहूर कॉन्ट्रैक्ट किलर बन जाता है। लगभग 8 साल बाद जब बाबू वापस आ जाता है तो सबके होश उड़ जाते हैं और यहां से शुरू होती है बदले की कहानी! आगे में जानने के लिए आपको सिनेमा घर का रूख करना पड़ेगा।
फिल्म में गाने ठूंसे हुए नहीं लगते हैं। जब भी आते हैं मजा आता है। कहानी के फ्लो को तोड़ते नहीं हैं। फिल्म की जान इसका देसीपन है। जिस तरह से कैरेक्टर गालियां देते हैं, मजाक करते हैं और स्वाभाविक ढंग से चीजों को पेश करते हैं, वह उत्तर भारत की जिंदगी को बखूबी बयान कर देती है।
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