वाल्डमैन कहते हैं, "लाइनोक्लोटाइड दवा उस हॉर्मोन की तरह काम करता है,
जिसकी कमी मोटापाग्रस्त लोगों में हो जाती है।"
शोधार्थियों ने इस बात की खोज की है कि मोटापे केे कारण ग्वानिलीन हॉर्मोन
की कमी हो जाती है, जिसका निर्माण आंत के एपिथिलियम कोशिकाओं द्वारा किया
जाता है।
लाइनोक्लोटाइड दवा मोटापाग्रस्त व्यक्तियों में ट्यूमर को दबाने वाले
हॉर्मोन रिसेप्टर्स को सक्रिय कर कैंसर का इलाज करती है।
जेनेटिक रिप्सेलमेंट से ट्यूमर को दबाने वाले हॉर्मोन सक्रिय हो जाते हैं।
यह शोध पत्रिका "कैंसर रिसर्च" में प्रकाशित हुआ है।
(आईएएनएस)
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