डॉ. अग्रवाल ने कहा कि
बारीक धूलकण से आंखों, नाक और गले में जलन, खांसी, बलगम, सीने में जकडऩ और
सांस टूटना आदि समस्याएं हो सकती हैं। हवा का स्तर सुधरने पर ये लक्षण दूर
हो जाते हैं। लेकिन अस्थमा और पीओपीडी से पीडि़तों में लक्षण और भी गंभीर
होते हैं। इसमें गहरा या सामान्य सांस न ले सकना, खांसी, सीने में बेचैनी,
छींक आना, सांस टूटना और अवांछित कमजोरी आदि हो सकते हैं।
उन्होंने कहा कि इन लक्षणों के नजर आने पर प्रदूषित हवा से दूर चले जाएं और डॉक्टर के पास जाएं।
डॉ. अग्रवाल कहते हैं कि सांस प्रणाली के विकारों वाले लोगों को बेहद सावधान रहना चाहिए, इससे बीमारी बिगड़ सकती है।
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