रहमान ने कहा, ‘‘कितना और
कितनी बार कोई ई-सिगरेट से धूम्रपान करता है, इससे ही उसके मसूड़ों और मुंह
की गुहा में नुकसान की सीमा तय की जाती है।’’
एक दूसरे शोधकर्ता
फवाद जावेद ने कहा, ‘‘यह ध्यान देने योग्य बात है कि ई-सिगरेट में निकोटिन
मौजूद होता है, जो मसूड़ों की बीमारी के लिए जिम्मेदार है।’’
(आईएएनएस)
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