नई दिल्ली । भारत में डेटा सेंटर्स पर खर्च 2025 में 19.1 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है। यह 2024 की विकास दर से करीब दोगुना है। यह जानकारी मंगलवार को एक पूर्वानुमान में दी गई।
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गार्टनर के ताजा पूर्वानुमान में बताया गया कि सॉफ्टवेयर और आईटी सर्विसेज भारत में आईटी खर्च वृद्धि के प्रमुख चालक हैं, जो 2025 में क्रमशः 16.9 प्रतिशत और 11.2 प्रतिशत बढ़ेंगे।
गार्टनर के उपाध्यक्ष विश्लेषक नवीन मिश्रा ने कहा कि सॉफ्टवेयर पर खर्च जेनएआई-सक्षम समाधानों के प्रीमियम कीमत से प्रेरित है। वहीं, आईटी सेवाओं पर खर्च क्लाउडिफिकेशन, डिजिटलीकरण और कंसल्टिंग सर्विसेज के लिए उद्योगों की आवश्यकताओं के कारण बढ़ रहा है।
पिछले महीने रियल एस्टेट कंसल्टेंट सीबीआरई साउथ एशिया की एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, भारत के डेटा सेंटर बाजार ने 2019-2024 के बीच घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों निवेशकों से 60 अरब डॉलर का निवेश आकर्षित किया है और 2027 के अंत तक कुल निवेश 100 अरब डॉलर को पार करने की उम्मीद है।
गार्टनर के अनुसार, डेटा सेंटर सिस्टम, डिवाइस और सॉफ्टवेयर सहित क्षेत्रों में 2025 में दोहरे अंकों की वृद्धि देखी जाएगी, जिसका मुख्य कारण जनरेटिव एआई (जेनएआई) हार्डवेयर अपग्रेड होना है।
पूरी दुनिया में आईटी खर्च 2025 में बढ़कर 5.61 ट्रिलियन डॉलर होने का अनुमान है। यह 2024 की तुलना में 9.8 प्रतिशत ज्यादा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, 2026 तक एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर में 50 प्रतिशत से ज्यादा सॉफ्टवेयर खर्च जेनएआई से प्रभावित होगा।
क्रिसिल रेटिंग्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की डेटा सेंटर इंडस्ट्री की क्षमता वित्त वर्ष 2026-27 तक दोगुनी बढ़कर 2 से 2.3 गीगावाट हो सकती है। इसकी वजह अर्थव्यवस्था का डिजिटाइजेशन बढ़ने के कारण क्लाउड में निवेश बढ़ना है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि बढ़ती डेटा सेंटर मांग को पूरा करने के लिए अगले तीन वित्त वर्षों में 55,000-65,000 करोड़ रुपये के निवेश की आवश्यकता है, जो मुख्य रूप से भूमि और भवन, बिजली उपकरण और कूलिंग सॉल्यूशंस पर खर्च किए जाएंगे।
--आईएएनएस
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