नई दिल्ली। दिल्ली में हर दिन 21 अपहरण होते हैं। नेशनल क्राइम रिकार्ड
ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार वर्ष 2015 में दिल्ली में देश भर के शहरों की
तुलना में सर्वाधिक अपहरण की घटनाएं दर्ज की गईं। दंग कर देने वाली बात यह
है कि 29 राज्यों एवं सात केंद्र शासित प्रदेशों में दिल्ली में वर्ष 2015
में प्रति एक लाख की आबादी पर 37 अपहरण की घटनाएं घटीं।
एनसीआरबी की अद्यतन
रपट भारत में अपराध में यह बात कही गई है। इस श्रेणी में राष्ट्रीय दर
प्रति एक लाख की आबादी पर 6.6 है।
पिछले वर्ष राजधानी में 20 हजार 339 हिंसक अपराध की घटनाएं दर्ज की गईं।
इनमें अपहरण के सर्वाधिक 7,730 मामले थे। संख्या के मामले में देश में वर्ष
2015 में उत्तर प्रदेश में अपहरण के सर्वाधिक 11,999 मामले दर्ज किए गए,
इसके बाद 8,255 मामलों के साथ महाराष्ट्र दूसरे स्थान पर और 7,730 मामलों
के साथ दिल्ली तीसरे स्थान पर है। बिहार 7,128 मामलों के साथ चौथे स्थान पर
है। इसके बाद 6,778 मामलों के साथ मध्य प्रदेश पांचवें और 6,115 मामलों के
साथ पश्चिम बंगाल छठे स्थान पर रहा। इसके बाद असम (5,831), राजस्थान
(5,426), हरियाणा (3,520) और ओडिशा (3,236) आते हैं।
दिल्ली का अफसर नामक बच्चा,जो अब 10 साल का हो गया है, भाग्यशाली है कि गत
24 अगस्त को वह अपने परिवार से फिर से मिल गया। उसका वर्ष 2007 में
संतानहीन दंपती ने एक सरकारी अस्पताल से अपहरण कर लिया था। लेकिन अपहरण का
अंत सुखद हो यह कोई जरूरी नहीं है।
आंकडों से पता चलता है कि अधिकांश मामलों में अपराधी फिरौती, हत्या या बदला
लेने के लिए या किसी अन्य कारणों के लिए बच्चों को निशाना बनाते हैं। शादी
के लिए दबाव डालने के लिए कुछ महिलाओं का भी अपहरण हुआ है।
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