वाराणसी। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में छात्रों की ओर से अशांति जारी है। छात्रों के दो समूह बीएचयू परिसर को आईआईटी परिसर से अलग करने वाली एक चारदीवारी के प्रस्तावित निर्माण को लेकर झगड़ रहे हैं।
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यह निर्णय पिछले सप्ताह की घटना के बाद लिया गया जहां परिसर में तीन अज्ञात लोगों ने एक लड़की के साथ कथित तौर पर छेड़छाड़ की थी।
चारदीवारी के निर्माण के फैसले और 2 नवंबर को संस्थान में छात्रा से कथित छेड़छाड़ के तीन आरोपियों की गिरफ्तारी में देरी के विरोध में रविवार को छात्रों के दो समूह आपस में भिड़ गए।
आंदोलनकारी छात्रों का एक समूह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़ा है जबकि दूसरा वामपंथी भगत सिंह छात्र मोर्चा (बीएसएम) और ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) के प्रति निष्ठा रखता था।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि झड़प के बाद पुलिस ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए हल्का बल प्रयोग किया।
एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि बीएसएम और आइसा सदस्यों ने हिंदुत्व विरोधी नारे लगाए और नारों का विरोध करने वाली एबीवीपी महिला सदस्यों पर हमला किया।
उधर, बीएसएम व आइसा सदस्यों ने आरोपों को बेबुनियाद बताया।
इसकी बजाय, उन्होंने दावा किया कि एबीवीपी सदस्यों ने उन पर हमला किया क्योंकि उन्होंने छेड़छाड़ मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी में देरी के विरोध में राज्य सरकार का पुतला जलाने की कोशिश की थी।
स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) शिवाकांत मिश्रा ने कहा कि बीएचयू गेट पर विरोध-प्रदर्शन के दौरान नारेबाजी करने और पुतला जलाने को लेकर आइसा-बीएसएम के साथ एबीवीपी के कार्यकर्ताओं की झड़प शुरू हो गई।
मिश्रा ने कहा, "हल्का बल प्रयोग कर पुलिस ने उन्हें तितर-बितर कर दिया।"
एबीवीपी की बीएचयू इकाई के अध्यक्ष अभय प्रताप सिंह ने कहा, "छेड़खानी की घटना में शामिल लोगों की गिरफ्तारी के लिए दबाव बनाने के लिए एबीवीपी सदस्यों और बीएसएम और आइसा के सदस्यों सहित कई छात्र शुक्रवार से ही बीएचयू गेट पर धरने पर बैठे थे।"
हालांकि, रविवार शाम को बीएचयू और आईआईटी-बीएचयू के अधिकारियों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि परिसर को चारदीवारी से अलग करना या विभाजित करना संभव नहीं है, लेकिन उन्होंने पूरे परिसर में छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और इसके लिए सभी संभावित उपाय करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
यह निर्णय यहां बीएचयू और आईआईटी-बीएचयू अधिकारियों की एक संयुक्त बैठक में लिया गया।
छात्र 2 नवंबर की छेड़छाड़ की घटना के बाद आईआईटी-बीएचयू की चारदीवारी बनाने के पहले के फैसले का विरोध कर रहे थे।
प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना था कि कैंपस को बांटना समस्या का समाधान नहीं है, बल्कि सुरक्षा उपायों को अपग्रेड किया जाना चाहिए।
बीएचयू के कुलपति प्रोफेसर सुधीर कुमार जैन और आईआईटी-बीएचयू के निदेशक प्रोफेसर प्रमोद कुमार जैन ने एक बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें दोनों संस्थानों के अन्य शीर्ष पदाधिकारी शामिल हुए।
उन्होंने सुरक्षा उपायों पर चर्चा की और कई अन्य प्रस्ताव पारित किये।
--आईएएनएस
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