प्रियदर्शन ने कहा कि अगर उनके लाइब्रेरियन पिता ने उनमें पढऩे की आदत नहीं डाली होती, तो आज वह जहां हैं वहां कभी नहीं पहुंच पाते।
पद्मश्री
से अलंकृत फिल्मकार ने कहा, ‘‘शायद नौ और फिल्मों के बाद (जिसके बाद उनका
शतक पूरा हो जाएगा) मैं एक पूर्णकालिक शिक्षक बन जाऊं और फिल्म उद्योग में
करियर बनाने के इच्छुक छात्रों को वह सिखाऊं जो कुछ मैने सीखा है।’’
फिल्मकार ने कहा कि शिक्षक की भूमिका निभाने के साथ ही वह फिल्में बनाना जारी रखेंगे।(आईएएनएस)
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