बॉलीवुड अभिनेत्री रेणुका शहाणे का मानना है कि महिलाओं में मुक्ति का बोध
उनके शरीर नहीं, बल्कि मन पर निर्भर करता है। रेणुका ने एनडीएफसी फिल्म
बाजार के 10वें संस्करण के मौके पर कहा, पर्दे पर व्यापक रूप से केवल
कामुकता को ही मुक्ति के तरीके के रूप में दर्शाया गया है, लेकिन इस प्रकार
का चित्रण पुरुषों को उकसाता है। फिर उसका क्या औचित्य है? हालांकि ‘पिंक’
जैसी फिल्म इस संदर्भ में बेहद प्रासंगिक है।
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