हिन्दी सिनेमा में अस्सी के दशक में दो ऐसे अभिनेताओं का उदय हुआ जिन्होंने हिन्दी सिनेमा की दशा और दिशा दोनों को बदला। यह दो अभिनेता थे अमिताभ बच्चन और ओम पुरी। अमिताभ ने स्वयं को जहां आम मसाला फिल्मों में खपाया वहीं ओम पुरी ने स्वयं को उन फिल्मों में जिन्हें उस वक्त मीडिया द्वारा ऑफ बीट या समानान्तर सिनेमा कहा गया। दोनों अभिनेताओं ने एक ही काम किया अपने क्रोध को परदे पर इस तरह दिखाना जिससे लगे के एक आम आदमी सिस्टम की गलत नीतियों से परेशान है और वह उन नीतियों के खिलाफ अपनी आवाज उठाता है, कानून अपने हाथ में लेता है और समाज की वाहवाही पाता है।
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