नई दिल्ली । भारत की ई-मोबिलिटी यात्रा तेजी से आगे बढ़ रही है, 2030 तक अनुमानित 45-50 मिलियन इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) सड़क पर दिखने की उम्मीद की जा रही है। मंगलवार को एक नई रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। केपीएमजी इन इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, जैसे-जैसे ईवी पारिस्थितिकी तंत्र तीव्र गति से परिपक्व हो रहा है, ईवी अपनाने का एक महत्वपूर्ण सूत्रधार धीमी और तेज चार्जर की उपलब्धता है, जो कुशल और लागत प्रभावी चार्जिग तक आसान पहुंच सुनिश्चित करता है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
भारत में केपीएमजी के एम एंड ए कंसल्टिंग के पार्टनर रोहन राव ने कहा, "दुनिया भर में त्वरित ईवी अपनाने के साथ एक मजबूत चार्जिग नेटवर्क का विकास हुआ है और हमारा मानना है कि इसी तरह की प्रवृत्ति भारत में देखे जाने की उम्मीद है।"
रिपोर्ट के अनुसार, चार्जिग तकनीक अलग-अलग वाहन खंडों के अनुसार अलग-अलग होगी और सार्वजनिक और निजी चार्जिग समाधान अलग-अलग ग्राहक खंडों और उपयोग के मामलों की सेवा के लिए तैनात किए जाएंगे।
"2डब्ल्यू और 3डब्ल्यू एसी धीमी चार्जिग के लिए सबसे उपयुक्त हैं। बैटरी की अदला-बदली उन मामलों के लिए अधिक प्रचलित मॉडल होने की संभावना है, जिनमें त्वरित चार्जिग टर्नअराउंड की आवश्यकता होती है।"
भारतीय बाजार में एसी निजी और सार्वजनिक चार्जर्स और डीसी चार्जर्स का एक घना नेटवर्क होने की संभावना है, जो बसों तक सीमित हैं और 4डब्ल्यू और एलसीवी के लिए कुछ उपयोग के मामले हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, होम/वर्कप्लेस चार्जिग से उम्मीदें डेस्टिनेशन चार्जिग या ऑन गो चार्जिग से अलग हो सकती हैं, जो फ्लीट चार्जिग से अलग होगी।
निष्कर्षो से पता चलता है, "रियल एस्टेट के लिए रणनीतिक साझेदारी और सीपीओ/सेवा प्रदाताओं के बीच अंतर-संचालन ग्राहक प्रस्ताव को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।"
राव ने कहा, "2030 तक भारतीय सड़कों पर अनुमानित 5 करोड़ ईवी के साथ, शुद्ध प्ले चाजिर्ंग व्यवसाय के लिए संभावित अवसर बहुत अधिक हैं।"
--आईएएनएस
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