अग्नि पृथ्वी पर सूर्य की प्रतिनिधि है। सूर्य जगत की आत्मा तथा विष्णु का
रूप है। अत: अग्नि के समक्ष फेरे लेेने का अर्थ है- परमात्मा के समक्ष
फेेरे लेना। अग्नि ही वह माध्यम है जिसके द्वारा यज्ञीय आहुतियां
प्रदान करके देवताओं को पुष्ट किया जाता है।
इस प्रकार अग्नि के रूप में
समस्त देवताओं को साक्षी मानकर पवित्र बंधन में बंधने का विधान धर्म
शास्त्रों में किया गया है।
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