सूर्य ग्रहों के स्वामी हैं। ये पंचदेवों में एक हैं। जीवन को व्यवस्था
सूर्य से ही मिलती है। पुराणों में सूर्योपासना को सर्वरोगों को हरने वाली
कहा गया है। हिंदू संस्कृति में अर्यदान (जल देना) सामने वाले के प्रति
श्रद्धा और आस्था प्रकट का प्रतीक है। स्नानदि के बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य देने का अर्थ है जीवन में संतुलन को आमांत्रित करना।
जहां
स्नान के लिए नदी या सरोवर उपलब्ध हैं, वहां सचैल (गले वस्त्रों के साथ
ही) सूर्य को अर्य देते हुए आज भी देखा जा सकता है। अर्य देते समय सूर्य के
नामों का उच्चारण करने का विघान है। शास्त्रनुसार प्रात: पूर्व की ओर मुख
करके सूर्य को अर्य देना चाहिए, जबकि सायं पश्चिम की ओर।
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