वास्तु के छोटे छोटे उपाय जिंदगी को सुखमय बना सकते हैं। खास तौर पर नवविवाहिताओं के लिए सही कक्ष का चयन उनके जीवन को खुशियों से भर सकता है। नवविवाहित के लिए वायव्य कोण में शयन कक्ष का चयन सर्वोत्तम है। संतान के इच्छुक दंपती भी इस क्षेत्र को शयन कक्ष के रूप में चुन सकते हैं।
नव दंपती के शयन कक्ष की आंतरिक सुसज्जा अतिथि कक्ष की आंतरिक व्यवस्था की तरह की जा सकती है। ध्यान रहे कि नव विवाहित दंपती का शयनकक्ष आग्नेय कोण में कदापि नहीं होना चाहिए। अग्नि कोण में शयन कक्ष होने से आपसी संबंधों में तनाव तथा तनातनी रहती है। यहां शयन करने से परस्पर विवाद काफी ज्यादा होता है। सफेद, क्रीम, या पीच रंग का प्रयोग इन कक्षों में उत्तम पाया गया है। कमरे में ताजे फूल रखें। इस कक्ष में फल आदि भी रखें, विशेषकर अनार जो कि स्वयं में प्रजनन का प्रतीक माना गया है।
इस कमरे में दर्पण न लगाएं। यदि इस कमरे में ड्रेसिंग टेबल हो तो विशेष ध्यान दें कि सोते समय आपका प्रतिबिम्ब दर्पण में न आए। यदि ऐसा हो तो शीशे को ढक कर रखें। यदि टॉइलट इस कक्ष के साथ हो तो उसके द्वार को सदैव बंद रखें। पत्नी पति के बाईं ओर सोए। पलंग द्वार के एकदम सम्मुख नहीं होना चाहिए। बिस्तर, बीम के नीचे नहीं हो। यदि ऐसा करना संभव न हो, तो कम से कम यहध्यान अवश्य रखें कि बीम बिस्तर की लंबाई की दिशा में हो, न कि चौड़ाई की दिशा में।
वैवाहिक संबंधों में सामंजस्य के लिए बीम के दोष के परिहार हेतु बीम से दो बांसुरियां लटका दें अन्यथा फॉल्स छत डलवाकर बीम को छिपा दें। जिन युवा कपल्स को गर्भधारण में कठिनाई आ रही हो, उन्हें विशेष ध्यान देना चाहिए कि उनका बिस्तर बीम के नीचे न हो। अलमारी, टेबल अथवा कमरे का कोई नुकीला कोना बिस्तर की ओर भेदन न कर रहा हो। संतान इच्छुक कपल्स के लिए सुझाव है कि उत्तर में सिर और दक्षिण में पैर करके न सोएं।
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