हनुमानजी शनि देव को चेतावनी दी और उन्हें ऎसा करने से रोका पर शनिदेव जी नहीं माने। हनुमानजी ने तब शनिदेव जी को अपनी पूंछ से जकड लिया और फिर से राम कार्य करने लगे। कार्य के दौरान वे इधर उधर खुद के कार्य कर रहे थे। इस दौरान शनिदेवजी को बहुत सारी चोटे आई। शनिदेव ने बहुत प्रयास किया पर बालाजी की कैद से खुद को छु़डा नहीं पाए। उन्होंने हनुमंते से बहुत विनती की पर हनुमानजी कार्य में खोये हुए थे। जब राम कार्य खत्म हुआ तब उन्हें शनिदेवजी का ख्याल आया और तब उन्होंने शनिदेव को आजाद किया।
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