भगवान को ताजे, बिना मुरझाए तथा बिना कीडों के खाए हुए फूल डंठलों सहित
चढाने चाहिए। फूलों को देव मूर्ति की तरफ करके उन्हें उल्टा अर्नित करे।
बेल का पत्ता भी उल्टा अर्पण करे। बेल एवं दूर्वा का अग्रभाग अपनी ओर होना
चाहिए। उसे मूर्ति की तरफ न करे। तुलसीपत्र मंजरी के साथ होना चाहिए। लेकिन
निमवत देवताओं के लिए कुछ फूल निषिद्ध माने गए हैं। जिनका विवरण यहां पर
प्रस्तुत किया जा रहा है।
बेल 30 दिन, चाफा 9 दिन, मोगरा 4 दिन, कनेर 8 दिन, शमी 6 दिन, केवडा 4 दिन
तथा कमल के फूल 8 दिन बाद बासी होते हैं। खराब, सडे-गले,चोटी पर से उतारे
हुए एवं पर्युषित फूल वर्जित माने जाते हैं। लेकिन माली के यहां बचे फूल
एवं पत्र कभी बासी नहीं होते।
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