धनतेरस सुख-समृद्धि, यश और वैभव का पर्व माना जाता है। धनतेरस पूजा को
‘धनत्रयोदशी’ के नाम से भी जाना जाता है। धनतेरस को भगवान धन्वंतरि की
विशेष पूजा की जाती है। पुराणों में लिखी कथा के अनुसार, देवताओं व दैत्यों
ने जब समुद्र मंथन किया तो उसमें से कई रत्न निकले। समुद्र मंथन के अंत
में भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए। उस दिन कार्तिक मास के
कृष्णपक्ष की त्रयोदशी ही थी। इसलिए तब से इस तिथि को भगवान धन्वंतरि का
प्रकटोत्सव मनाए जाने का चलन प्रारंभ हुआ। पुराणों में धन्वंतरि को भगवान
विष्णु का अंशावतार भी माना गया है।
धनतेरस का दिन धन्वन्तरि त्रयोदशी
या धन्वन्तरि जयन्ती, जो कि आयुर्वेद के देवता का जन्म दिवस है, के रूप में
भी मनाया जाता है। कहते हैं कि इस दिन भगवान धन्वन्तरि को आपने प्रसन्न कर
दिया तो आपके घर में सुख-समृद्धि तो आएगी ही, साथ ही आपके परिवार का हर
सदस्य स्वस्थ भी रहेगा। वैसे भी अच्छे स्वास्थ्य को सबसे बड़ा धन माना गया
है। इस दिन पूजा का भी विशेष महत्व है।
धनतेरस की पूजा का शुभ मुहूर्त-
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