ज्योतिष की दुनिया में राहु और केतु ग्रहों को पापी ग्रह के नाम से जाने
जाते है। इन दोनों ग्रहों का अपना कोई अस्तित्व नहीं होता, इसीलिए ये जिस
ग्रह के साथ बैठते हैं उसी के अनुसार अपना प्रभाव देने लगते हैं। कुछ ही
मौके ऐसे होते हैं जब कुंडली में इनका प्रभाव शुभ प्राप्त होता है। राहु और
केतु अगर जातक की कुंडली में दशा-महादशा में हों तो यह व्यक्ति को काफी
परेशान करने का कार्य करते हैं। यदि कुंडली में उनकी स्थिति ठीक हो तो जातक
को अप्रत्याशित लाभ मिलता है और यदि ठीक न हो तो प्रतिकूल प्रभाव भी उतना
ही तीव्र होता है। [# अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
ज्योतिष शास्त्र में प्रेम विवाह और तलाक के कई योग
दिए गए हैं। उनमें से एक योग राहु के पहले भाव में अकेले स्थित होने पर
बनता है। यदि कुंडली के पहले या सातवें भाव में राहु की मौजूदगी है तो
व्यक्ति के प्रेम विवाह के योग बनते है। ऐसे व्यक्ति घरवालों की सोच से अलग
विवाह करना चाहते है तो इसमें आपका पक्ष मजबूत हो जाता है यानी घरवालें
जल्द ही आपकी बात मान जाएंगे।
इन टोटकों के माध्यम से आप अपने भाग्य बदल सकते है:-
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