जैसलमेर। दही जमाने के लिए लोग अक्सर जामन ढूंढ़ते नजर आते हैं। वहीं राजस्थान के जैसलमेर जिले में स्थित इस गांव में जामन की जरूरत नहीं पड़ती है। यहां ऐसा पत्थर है जिसके संपर्क में आते ही दूध जम जाता है। इस पत्थर पर विदेशों में भी कई बार रिसर्च हो चुकी है। फॉरेनर यहां से ले जाते हैं इस पत्थर के बने बर्तन।
हाबूर का पत्थर
स्वर्णनगरी जैसलमेर का पीला पत्थर विदेशों में अपनी पहचान बना चुका है। इसके साथ ही जिला मुख्यालय से 40 किमी दूर स्थित हाबूर गांव का पत्थर अपने आप में विशिष्ट खूबियां समेटे हुए है। इसके चलते इसकी डिमांड निरंतर बनी हुई है। हाबूर का पत्थर दिखने में तो खूबसूरत है ही, साथ ही उसमें दही जमाने की भी खूबी है। इस पत्थर का उपयोग आज भी जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में दूध को जमाने के लिए किया जाता है। इसी खूबी के चलते यह विदेशों में भी काफी लोकप्रिय है। इस पत्थर से बने बर्तनों की भी डिमांड बढ़ गई है।
महासमुद्र समाप्त होने से बना पत्थर
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