भीलवाड़ा। छोटे हों या बड़े सबको मातृ छाया की जरूरत होती है। मां का आंचल बच्चों को लोरी, थपकी, प्यार, स्नेह, अपनेपन का अहसास सब कुछ देता है लेकिन, क्षेत्र के धामनियां गांव में एक 4 वर्षीय मासूम खुशी कंजर अपनी मां के आंचल और पिता के प्यार को दो वर्ष पहले ही खो चुकी है। बुजुर्ग नाना गोपाल व नानी सरीना अपनी नवासी खुशी का मां-बाप की तरह प्यार से लालन पालन कर रहे हैं। करीब दो वर्ष पूर्व खुशी के पिता की एक सडक़ हादसे में मृत्यु हो गई। मां ने बड़े प्यार से अपनी बच्ची को नाम दिया खुशी, वह भी खुशी को दो साल का छोड़ कर पता नहीं कहां चली गई।
नाना नानी से ही है आस
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