जोधपुर की स्थापना से पूर्व यहां संत चिडिय़ानाथ का धूणा था। मान्यता है कि वनवास के समय इन पहाडिय़ों में पांडव रहे थे। इसी मान्यता के आधार पर जब जोधपुर का गढ़ बना और फिर शहर की स्थापना हुई तो यहां भीम की विशालकाय प्रतिमा स्थापित की गई। पुराने शहर की तरफ मुंह किए भीम की प्रतिमा को देखते ही लगता है कि भीम आज भी इस शहर के रक्षक बन कर खड़े हैं।
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