लोंगवा गांव के राजा की फैमिली भी काफी बडी है, जिसमें उनकी 60 बीवियां भी शामिल हैं। वहीं, राजा का बेटा म्यांमार आर्मी में है। भारत-म्यांमार सीमा पर होने के कारण यहां के लोगों को तकनीकी तौर दोनों ही देशों की नागरिकता मिली हुई है। ऎसे में इन्हें म्यांमार जाने के लिए न तो वीजा की जरूरत होती है और न ही भारतीय पासपोर्ट की। यहां के लोग दोनों ही देशों में स्वतंत्र रूप से घूम सकते हैं। इस ट्राइब्स के लोगों को हेड हंटर्स के नाम से भी जाना जाता है। पहले ये लोग इंसानों को मारकर उसके सिर को अपने साथ ले जाते थे। हालांकि,1960 के दशक बाद यहां हेड हंटिंग नहीं होती है, लेकिन लोगों के घरों में सजाए गए खोपडियों को देखा जा सकता है। इनकी संख्या अन्य दूसरे जनजातियों की तुलना में काफी ज्यादा है। वहीं, इनकी भाषा नागमिस है, जो नागा और आसामी भाषा से मिलकर बनी है। बता दें कि नागालैंड के लोंगवा गांव में ऎसा ही होता है, जहां पर कोन्याक जनजाति के लोग रहते हैं।
चूहे खा गए 19 किलो गांजा और भांग, अदालत में गवाही के दौरान हुआ खुलासा
उदयपुर के मेनार गांव में खेली गई बारूद की होली
डॉक्टरों ने किया मृत घोषित, रास्ते में पुनर्जीवित हुई महिला, अब सकुशल और ICU में है
Daily Horoscope