उन्होंने बताया कि वह पास के जंगल से गायों के लिए हरी घास भी लाते हैं।
अफक ने बताया, मैं अपनी गायों के स्वास्थ्य को लेकर काफी सजग रहता हूं। मैं
समय-समय पर मेडिकल चेकअप के लिए ले जाता हूं और आम बीमारियों के लिए घरेलू
नुस्खे भी जानता हूं। अफक मूल रूप से कानपुर देहात के रहने वाले हैं। वह
कहते हैं कि हालांकि गायों को पालना मेरी जीविका का साधन है, लेकिन मैं
खुशकिस्मत हूं कि पिछले तीस सालों से इस पवित्र पशु का सेवा कर रहा हूं।
अफक का कहना है कि गांववाले मेरे प्यार और समर्पण की तारीफ करते हूं, लेकिन
कुछ रिश्तेदार अपनी पत्नी के साथ किए मेरे व्यवहार की आलोचना करते हैं। वह
रोज मुझसे झगडा करती थी और गायों को बेचने के लिए कहती थी लेकिन मेरे मन
ने कभी इसकी इजाजत नहीं दी। मुझे अपने फैसले पर कुछ भी पछतावा नहीं हुआ।
मैं शांति से रहता हूं। एनिमल एक्टिविस्ट राजीव चौहान कहते हैं, गायों के
लिए उनका प्यार हम सबके लिए प्रेरणा हैं। 55 साल की उम्र में भी वह इतने
उत्साह के साथ गायों की सेवा कर रहे हैं।
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