इस प्रकार कई मुस्लिम परिवारों से बात करने पर यह करीब-करीब स्पष्ट नजर आया कि कम प्रतिशत में ही सही पर कुछ युवा और महिलाओं का मत जरूर बीजेपी को हासिल हो सकता है पर अधिकांश मुस्लिम भाजपा में अभी भी अपना नेता तलाश रहे हैं, पर जमीनी हकीकत तो यह है कि पसन्द आने के बावजूद अटल बिहारी वाजपेयी भी पसंद को वोट में नहीं बदल सके।
अतः दूसरे शब्दों में यदि यह कहा जाए कि नरेन्द्र मोदी यदि एक परीक्षार्थी हैं और उन्हें परीक्षा में टॉप करना है तो बीस नम्बर के प्रश्न को छोड़ कर टॉप नहीं कर किया जा सकता। उन्हें सौ प्रतिशत के लिए सभी प्रश्नों का सामना करना ही होगा।
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