श्रीनाथ जी
दिल्ली के बादशाह आलमगीर औरंगजेब के मथुरा पर हमले के कारण 1672 ईस्वी में श्रीनाथ जी मेवाड़ पधारे। महाराणा राजसिंह ने उदयपुर से 40 किलोमीटर दूर सिंहाड़ गांव के निकट हवेली में शरण दी और 80 गांवों की जागीर मय रिसाला बंदोबस्त के लिए भेंट की। तब से श्रीनाथ जी वहीं बिराजित है। प्रभु श्रीनाथ जी की झांकी सेवा संगम के मेले में जनता के दर्शनार्थ सजाई गई है। मंदिर और पुष्टीमार्ग की परम्पराओं और सहज भाव समझाने के लिए प्रदर्शनी भी लगाई गई है। प्रभु श्रीनाथ जी की आरती के दर्शन और पूजा पद्धति की जानकारी भी यहां प्राप्त की जा सकती है।
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