• Aapki Saheli
  • Astro Sathi
  • Business Khaskhabar
  • ifairer
  • iautoindia
1 of 12

शेखावाटी: शानदार हवेलियों और अनोखी चित्रकला से सजा राजस्थान का अनूठा पर्यटन क्षेत्र

राजस्थान के उत्तरी भाग में स्थित शेखावाटी ‘शानदार हवेलियों की नगरी’ के नाम से प्रसिद्ध है। राव शेखा के नाम पर बसे इस अंचल में चुरू, सीकर और झुंझुनूं जिले शामिल हैं। यहाँ की हवेलियाँ अपनी रंग-बिरंगी और अद्भुत भित्ति-चित्रकला के कारण किसी परीलोक जैसी लगती हैं और हर पर्यटक को मंत्रमुग्ध कर देती हैं। अठारहवीं से बीसवीं शताब्दी के बीच बने ये भव्य आशियाने भारतीय स्थापत्य और शिल्पकला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। बिड़ला, डालमिया, पोद्दार, गोयनका और सिंघानिया जैसे बड़े व्यापारी परिवारों ने इन हवेलियों का निर्माण कराया। आज ये परिवार शहरों और विदेशों में बस चुके हैं, इसलिए हवेलियाँ अब चौकीदारों की देखरेख में हैं। इन हवेलियों की चित्रकला खास है क्योंकि इसमें न केवल पौराणिक कथाओं और धार्मिक गाथाओं को उकेरा गया है, बल्कि उस समय के आधुनिक साधनों—कार, रेलगाड़ी, हवाई जहाज—के चित्र भी शामिल हैं, जिन्हें देखकर विदेशी पर्यटक आज भी चकित रह जाते हैं।
हवेलियों के साथ-साथ शेखावाटी के मंदिर और बावड़ियाँ भी अपनी जटिल नक्काशी और सुंदर भित्ति चित्रों के कारण आकर्षण का केंद्र हैं। यही वजह है कि शेखावाटी भारतीय कला, इतिहास और संस्कृति को करीब से महसूस करने वालों के लिए आज भी एक अद्भुत गंतव्य बना हुआ है।
आइए डालते हैं एक नजर इस क्षेत्र के विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों—
सेठानी का जोहड़ा: रेगिस्तान में पानी का अनोखा खजाना
राजस्थान के शुष्क इलाकों में जल संरक्षण हमेशा से जीवन का अहम हिस्सा रहा है। इसी परंपरा की मिसाल है ‘सेठानी का जोहड़ा’, जो चूरू से लगभग 5 किलोमीटर पश्चिम में रतनगढ़ मार्ग पर स्थित है। ‘जोहड़ा’ का अर्थ है जलाशय या तालाब, और यह स्थान उसी विरासत को जीवंत करता है।
सन् 1899 में भगवानदास बागला की विधवा ने वर्षा जल को सहेजने के उद्देश्य से इस विशाल जोहड़े का निर्माण कराया था। खास बात यह है कि एक मानसून में भरा पानी अगले मानसून तक यहाँ उपलब्ध रहता है। उस दौर में चूरू के समृद्ध सेठों ने भी इसके निर्माण में योगदान दिया था, जिससे यह न सिर्फ जल संरक्षण बल्कि सामाजिक सहयोग का प्रतीक बन गया। आज ‘सेठानी का जोहड़ा’ राजस्थान के जल प्रबंधन के ऐतिहासिक प्रयासों की याद दिलाता है और पर्यटकों के लिए भी एक आकर्षक स्थल है, जहाँ वे मरुस्थलीय क्षेत्र में पारंपरिक जल संरचनाओं की महत्ता को करीब से देख सकते हैं।
ताल छापर अभ्यारण्य
उछलते- कूदते, अठखेलियाँ करते, छोटे छोटे मृग शावक यानि हिरण के बच्चे आपका मन मोह लेंगे। ब्लैक मनी यानि काले हिरण की यह सैंक्चुअरी छापर गाँव में है, जो कि जयपुर से 210 कि.मी. दूर चूरू के सुजानगढ़ तहसील में है। काले हिरण का यह अभ्यारण्य, खुले मैदान, बड़े पेड़ों तथा लताओं से आच्छादित है। यहाँ हिरणों के साथ, रेगिस्तानी लोमड़ी, जंगली बिल्ली को भी देखा जा सकता है। पक्षी प्रेमियों के लिए भी यहाँ पर चील, आइबीज, दक्षिण यूरोप और मध्य एशिया में पाए जाने वाले सारस, क्रेन, चकवा, लका, कबूतर आदि देखने को मिलते हैं। यह अभ्यारण्य फॉरेस्ट डिपार्टमेन्ट के अधीन है तथा यहाँ बाकायदा उनका ऑफिस बना हुआ है, जहाँ से एन्ट्री की जाती है।
लक्ष्मणगढ़ किला
लक्ष्मणगढ़ नगर में यह किला गौरवशाली स्थापत्य का नमूना है। पूरे विश्व में यह स्थापत्य कला का अनूठा उदाहरण है जो कि यहाँ बिखरी चट्टानों के टुकड़ों को संजो कर बनाया गया था। इसके शिखर पर चढ़कर नीचे बसे लक्ष्मणगढ़ का विहंगम दृश्य दिखाई देता है।
रघुनाथ जी मंदिर
बड़ा मंदिर नाम से पहचान बनाने वाला यह मंदिर रतनगढ़ के पास है। 19वीं शताब्दी में बना मंदिर, भगवान विष्णु के अवतार, भगवान रघुनाथ या राम को समर्पित है। इसका प्रवेश द्वार काफी ऊँचा है तथा शीर्ष पर कपोलों की एक श्रृंखला है। जीवन के दुख दर्द दूर करने और शांति प्रदान करने के लिए इस मंदिर की बहुत मान्यता है।
रामगढ़
सन् 1791 ई. में पोद्दार परिवार द्वारा स्थापित रामगढ़ भारत के सबसे वैभवशाली नगरों में गिना जाता है। रामगढ़ पुराने मंदिरों, छतरियाँ तथा हवेलियों में बने चित्रों के लिए प्रसिद्ध है। रामगोपाल की छतरी और पोद्दार हवेली, वैद्यनाथ रूईया हवेली, वेदारण्य हवेली पर्यटकों में लोकप्रिय है।
फ़तेहपुर
फतेहपुर शहर क़ायमखानी नवाब फतेह मोहम्मद ने 1508 ईस्वी में स्थापित किया था। उन्होंने 1516 में फतेहपुर के किले का निर्माण करवाया। यह शहर एक समय सीकर की राजधानी के रूप में भी जाना गया था। आज फतेहपुर, शेखावाटी की लोकप्रिय सांस्कृतिक राजधानी के रूप में जाना जाता हैं। यहाँ के दर्शनीय स्थलों में दो-जांटी बालाजी मंदिर, लक्ष्मीनारायण जी मंदिर, सिंघानिया हवेली , नादिन ली प्रिंस हवेली, गड़वा जोहड़ा और फतेहचंद की हवेली प्रमुख हैं।

खेतड़ी महल

’झुझंनू खेतड़ी महल’ कला और वास्तु संरचना के सर्वोत्कृष्ट उदाहरणों में से एक है। इसे झुझंनू के हवा महल के रूप में भी जाना जाता है। सन 1770 में इस महल का निर्माण हुआ था आश्चर्यजनक तथ्य है कि खेतड़ी महल में कोई झरोखे या द्वार नहीं है फिर भी इसे हवा महल के नाम से जाना जाता है। खेतड़ी महल का अनोखापन, हवा के अबाध प्रवाह हेतु व्यवस्थित रूप से बनाये गये भवनों के निर्माण के कारण है। महल के लगभग सभी कक्षों में सुव्यवस्थित स्तम्भ और मेहराब एक दूसरे से जुडे़ हुए हैं जो कि किले को शानदार समृद्ध रूप प्रदान करते हैं।
रानी सती मंदिर
रानी सती मंदिर राजस्थान में झुझंनू जिले में स्थित विख्यात मंदिर है। इस मंदिर का इतिहास 400 से अधिक वर्षों का है। स्त्री शक्ति का प्रतीक यह मंदिर अपनी गरिमा और असाधारण चित्रों के लिए जाना जाता है। यह पुराने भारतीय तीर्थ के रूप में भी माना जाता है।
मंडावा: हवेलियों और इतिहास से सजा राजस्थान का अनोखा नगर
राजस्थान के झुंझुनूं जिले में स्थित मंडावा प्राचीन काल में मध्यपूर्व और चीन को जोड़ने वाले व्यापारिक मार्ग का महत्वपूर्ण केन्द्र रहा है। यहां से वस्तुओं का आदान-प्रदान होता था, जिससे यह नगर व्यापार और संस्कृति का संगम बन गया। मंडावा के संस्थापकों ने यहां एक किला बनवाया और उसके चारों ओर नगर बसाया, जो धीरे-धीरे बड़े व्यापारियों का गढ़ बन गया।
इन समृद्ध व्यापारियों ने अपनी हवेलियों में अद्भुत और अनूठी भित्ति चित्रकला से इतिहास को जीवंत कर दिया। आज मंडावा की हर हवेली की दीवार अलग-अलग कहानियों और पेंटिंग्स से सजी हुई है, जो पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। यही वजह है कि मंडावा को ‘ओपन आर्ट गैलरी’ भी कहा जाता है।
मंडावा न केवल अपनी हवेलियों और ऐतिहासिक स्थापत्य के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि फिल्म शूटिंग के लिए भी एक पसंदीदा स्थल बन चुका है। बॉलीवुड और विदेशी फिल्मों में अक्सर इस शहर की भव्यता और राजस्थानी रंग-रूप झलकता है। इतिहास, कला और संस्कृति को करीब से महसूस करने वाले यात्रियों के लिए मंडावा एक अनूठा अनुभव देता है।
हजरत कमरूद्दीन शाह की दरगाह: सूफी आस्था का अनूठा केंद्र
राजस्थान के खेतड़ी महल के पश्चिम में नेहरा पहाड़ की तलहटी में स्थित हजरत कमरूद्दीन शाह की दरगाह सूफी आस्था और ऐतिहासिक विरासत का अनूठा संगम प्रस्तुत करती है। यह खुला और सुव्यवस्थित परिसर अपनी शांति और आध्यात्मिक वातावरण के लिए जाना जाता है। दरगाह के भीतर एक सुंदर मस्जिद और मदरसा भी स्थित है, जहां आज भी प्राचीन भित्ति चित्र अपनी ऐतिहासिक कला की झलक दिखाते हैं।
परिसर के मध्य में सूफी संत हजरत कमरूद्दीन शाह की अलंकृत दरगाह स्थित है, जो श्रद्धालुओं और पर्यटकों दोनों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। यहां आने वाले लोग न केवल आध्यात्मिक संतोष प्राप्त करते हैं, बल्कि राजस्थान की सूफी परंपरा और स्थापत्य कला की झलक भी करीब से देख सकते हैं।

शेखावाटी के खूबसूरत पर्यटक स्थलों को देखने के लिए आगे की स्लाइड्स पर क्लिक करें

ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे

यह भी पढ़े

Web Title-Shekhawati: Rajasthans Unique Tourist Region of Magnificent Havelis and Exquisite Frescoes
खास खबर Hindi News के अपडेट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक और ट्विटर पर फॉलो करे!
(News in Hindi खास खबर पर)
Tags: shekhawati, rajasthan tourism, painted havelis, frescoes, churu sikar jhunjhunu, rao shekha, heritage architecture, shekhawati temples, shekhawati stepwells, rajasthan culture, indian heritage, news in hindi, latest news in hindi, news
Khaskhabar.com Facebook Page:

बॉलीवुड

आपका राज्य

Traffic

जीवन मंत्र

Daily Horoscope

वेबसाइट पर प्रकाशित सामग्री एवं सभी तरह के विवादों का न्याय क्षेत्र जयपुर ही रहेगा।
Copyright © 2025 Khaskhabar.com Group, All Rights Reserved