हरिद्वार। गायत्री तीर्थ शांतिकुंज
में चल रहे तीन दिवसीय गायत्री जयंती महापर्व एवं गंगा दशहरा पर्वोत्सव के दूसरे दिन
भव्य शोभायात्रा निकाली। शांतिकुंज गेट नंबर तीन से शोभायात्रा की शुरुआत हुई और हरिपुर
कलॉ, देवसंस्कृति विश्वविद्यालय वापस होते हुए युगऋषिद्वय की पावन समाधि के पास पहुंची।
जहाँ नौ कन्याओं ने आरती कर स्वागत किया। शोभायात्रा के दौरान पतित पावनी गंगा को अविरल
व निर्मल बनाने हेतु जनजागरण किया तथा नारियों के उत्थान, पर्यावरण संरक्षण और कुरीति
उन्मूलन पर लोगों को प्रेरित करते हुए नारे लगाये। कई स्थानों पर शोभायात्रा की पुष्पवर्षा
से स्वागत भी हुआ। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
पर्व की पूर्व संध्या के अवसर
पर देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि गायत्री
देवमाता, वेदमाता, विश्वमाता है और प्राचीन ग्रंथों में गायत्री मंत्र को महामंत्र
की संज्ञा दी गयी है। इस मंत्र का जप करने से साधक के मन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह
होता है तथा वातावरण शुद्ध होता है। उन्होंने कहा कि गायत्री मंत्र की साधना से मन
को शांति मिलती है। मानसिक विकारों से छुटकारा मिलता है। शरीर को सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त
होती है तथा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। प्रतिकुलपति ने कहा कि गायत्री
मंत्र साधना से भौतिक एवं आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं। इस दौरान देश विदेश से
आये हजारों साधक उपस्थित रहे।
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