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ऋषि चिंतन: प्रत्येक परिस्थिति में आगे बढ़िये

Rishi Chintan: Move Forward in Every Situation - News in Hindi

मनुष्य जीवन उन्नति करने के लिए है । कहने के लिए संसार में अनेक शक्तिशाली प्राणी मौजूद हैं, पर अन्य किसी प्राणी में वह विवेक शक्ति नहीं पाई जाती जिससे भलाई-बुराई, लाभ-हानि का निर्णय करके उन्नति के मार्ग पर अग्रसर हुआ जा सके । यह विशेषता केवल मनुष्य को ही प्राप्त है कि वह इच्छानुसार नए-नए मार्ग खोज कर अगम्य स्थलों पर जा पहुंचता है और महत्वपूर्ण कार्यों को संपादित करता है । अगर मुझे अमुक सुविधाएं मिलती तो मैं ऐसा करता इस प्रकार की बातें करने वाले एक झूठी आत्मप्रवंचना किया करते हैं । अपनी नालायकी को भाग्य के ऊपर, ईश्वर के ऊपर थोप कर खुद निर्दोष बनना चाहते हैं । यह एक असंभव मांग है कि यदि मुझे अमुक परिस्थिति मिलती तो मैं ऐसा करता । जैसी परिस्थिति की कल्पना की जा रही है यदि वैसी मिल जाए तो वह भी अपूर्ण मालूम पड़ेगी और उससे अच्छी स्थिति का अभाव प्रतीत होगा । जिन लोगों को धन, विद्या, मित्र, पद आदि पर्याप्त मात्रा में मिले हुए हैं, देखते हैं उनमें से भी अनेकों का जीवन बहुत अस्त-व्यस्त और असंतोषजनक स्थिति में पड़ा हुआ है । धन आदि का होना उनके आनंद की वृद्धि न कर सका वरन् जी का जंजाल बन गया । जिसे जीवनकला का ज्ञान नहीं, उसे गरीबी में, अभावग्रस्त अवस्था में थोड़ा बहुत आनंद तब भी है, यदि वह संपन्न होता तो उन संपत्तियों का दुरुपयोग करके अपने को और भी अधिक विपत्ति ग्रस्त बना लेता । यदि आपके पास आज मनचाही वस्तु नहीं है, तो निराश होने की कोई आवश्यकता नहीं है । टूटी फूटी चीजें हैं उन्हीं की सहायता से अपनी कला को प्रदर्शित करना प्रारंभ कर दीजिए । जब चारों और घोर घना अंधकार छाया होता है तो वह दीपक, जिसमें छदाम का दिया, आधे पैसे का तेल और दमड़ी की बत्ती है। कुल मिलाकर एक पैसे की भी पूंजी नहीं है, चमकता है। अपने प्रकाश से लोगों के रुके हुए कामों को चालू कर देता है जबकि हजारों पैसे के मूल्य वाली वस्तुएं चुपचाप पड़ी होती है । यह एक पैसे की पूंजी वाला दीपक प्रकाशमान होता है, अपनी महत्ता प्रकट करता है, लोगों का प्यारा बनता है, प्रशंसित होता है और अपने अस्तित्व को धन्य बनाता है । क्या दीपक ने कभी ऐसा रोना रोया कि मेरा मेरा आकार बड़ा होता तो ऐसा बड़ा प्रकाश करता ? दीपक को कर्म हीन नालायकों की भांति बेकार शेखचिल्लियों के से मंसूबे बांधने की फुर्सत नहीं है । वह अपनी आज की परिस्थिति, हैसियत, औकात को देखता है । उसका आदर करता है और अपनी केवल मात्र एक पैसे की पूंजी से कार्य आरंभ कर देता है । उसका कार्य छोटा है बेशक पर उस छोटेपन में भी में भी सफलता का उतना ही अंश है जितना कि सूर्य और चंद्र के चमकने की सफलता में है । यदि आंतरिक संतोष, धर्म, परोपकार की दृष्टि से तुलना की जाए तो अपनी अपनी मर्यादा के अनुसार दोनों का ही कार्य एक सा है दोनों का ही महत्व समान है दोनों की सफलता एक सी है। उपरोक्त प्रवचन आचार्य पंडित श्रीराम शर्मा द्वारा लिखित पुस्तक आपत्तियों में धैर्य➖ पृष्ठ-15 से लिया गया है।

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Web Title-Rishi Chintan: Move Forward in Every Situation
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Tags: rishi chintan move forward in every situation, news in hindi, latest news in hindi, news
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