एक अच्छे संस्कारित, चरित्रवान व्यक्ति के रूप में अपना विकास आप स्वयं ही कर सकते हैं। माता-पिता का, शिक्षकों का और समाज का मार्गदर्शन तो आपको मिल सकता है, पर इस मार्ग पर चलना तो आपको ही पड़ेगा। संयम और साधना के द्वारा अच्छे संस्कारों का अभ्यास करें। इस कुसंस्कारी समाज में लोग आप का विरोध करेंगे पर इसकी चिंता न करें । लोग क्या कहेंगे इस पर ध्यान न दें और अपने निश्चित पथ पर बढ़ते रहें । जैसी भी परिस्थितियाँ हों, उनका डटकर सामना करें। मनुष्य परिस्थितियों का दास नहीं है, वह उनका निर्माता, नियंत्रणकर्ता और स्वामी है। जो विपरीत परिस्थितियों में भी ईमान, साहस और धैर्य को कायम रख सके वस्तुत: वही सच्चा शूरवीर होता है । संस्कारी व्यक्ति की यही पहचान है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
संस्कारवान व्यक्ति ही समाज के समक्ष आई चुनौतियों का सरलता से सामना कर सकता है। वही सच्चा मनुष्य कहलाता है। मनुष्य का जन्म तो सरल है, पर मनुष्यता उसे कठिन प्रयत्नों से प्राप्त करनी होती है। जो अपने को मनुष्य बनाने में सफल हो जाता है उसे हर काम में सफलता मिल सकती है। ऐसा व्यक्ति अपनी निजी आवश्यकताओं को कम से कम रखता है और हर हाल में प्रसन्न रहता है। संस्कारित, सदाचारी और कर्तव्य परायण व्यक्ति को ईश्वर भी बहुत प्यार करता है और हर प्रकार से उसकी सहायता करता रहता है। प्रत्यक्षत: वह आपको भले ही दिखाई न दे पर न जाने किस-किस रूप में वह आपकी सहायता के साधन जुटा देता है ।
उपरोक्त प्रवचन पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा लिखित पुस्तक वर्तमान चुनौतियाँ और युवा वर्ग, पृष्ठ-22 से लिया गया है।
मैंने कभी भी घमंड के आगे घुटने नहीं टेके : कंगना रनौत
दसरा: प्रदर्शन पूर्व बॉक्स ऑफिस पर कमाई 50 करोड़, पहले दिन बनेगा रिकॉर्ड
भोला: पहला दिन 13 करोड़, दसरा से मिलेगी टक्कर
Daily Horoscope