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जोधपुर-उदयपुर के बीच बसा है रहस्यमयी सुंदरता से भरपूर रणकपुर, 15वीं शताब्दी का जैन मंदिर

Ranakpur Hidden Gem Between Jodhpur and Udaipur, Known for its 15th Century Jain Temple - Entertainment News in Hindi

राजस्थान की रंगीनी और ऐतिहासिकता से भरी धरती पर जोधपुर और उदयपुर के बीच बसी है एक शांत, सुंदर और समृद्ध नगरी — रणकपुर। अपनी प्राकृतिक सुंदरता, ऐतिहासिक मंदिरों और सांस्कृतिक वैभव के लिए प्रसिद्ध रणकपुर, उन पर्यटकों के लिए किसी जन्नत से कम नहीं जो भीड़-भाड़ से दूर सुकून की तलाश में हैं। सबसे प्रसिद्ध है यहां का 15वीं शताब्दी में बना अद्भुत जैन मंदिर, जो स्थापत्य कला का अनुपम उदाहरण है। राजस्थान के उदयपुर जिले में स्थित रणकपुर जैन मंदिर न केवल स्थापत्य कला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, बल्कि यह जैन धर्म की आध्यात्मिक परंपराओं का भी जीवंत प्रतीक है। यह मंदिर तीर्थंकर आदिनाथ को समर्पित है और इसे विश्व के सबसे सुंदर तथा जटिल जैन मंदिरों में गिना जाता है। रणकपुर का यह मंदिर किसी महल से कम नहीं दिखता—संगमरमर की जटिल नक्काशी, अनगिनत स्तंभों की कलाकारी और वातावरण में फैली अद्भुत शांति, इसे हर जैन अनुयायी और कला प्रेमी के लिए एक अनिवार्य गंतव्य बनाती है। राजपूत संरक्षक, जैन श्रद्धा
रणकपुर मंदिर का निर्माण 15वीं शताब्दी में उस समय हुआ जब मेवाड़ पर शक्तिशाली राजपूत शासक राणा कुंभा का शासन था। एक श्रद्धालु जैन व्यापारी धन्ना शाह को सपना आया कि उन्हें भगवान आदिनाथ के लिए एक भव्य मंदिर बनवाना है। जब उन्होंने इस भावना को राजा कुंभा के सामने प्रस्तुत किया, तो राजा ने सहर्ष भूमि दान दी और निर्माण कार्य में सहयोग किया। इसी के स्मारकस्वरूप यह स्थान ‘रणकपुर’ कहलाया, जो राणा कुंभा के नाम पर पड़ा।
स्थापत्य की अद्भुत कारीगरी
लगभग 4,500 वर्ग गज क्षेत्र में फैला यह मंदिर वास्तुकला के हर पहलू में चमत्कारी है। इसमें कुल 29 भव्य हॉल और 80 से अधिक गुंबद हैं, जिनके नीचे 1,444 खंभे स्थित हैं। हर खंभा एक-दूसरे से अलग है—उनकी नक्काशी, आकृति, और शैली इतनी विविध है कि दो एक जैसे स्तंभ आपको नहीं मिलेंगे। सबसे अद्भुत बात यह है कि इन खंभों का रंग दिन के हर घंटे के साथ बदलता है—प्रकाश के प्रभाव में वे सुनहरे से हल्के नीले रंग में परिवर्तित होते हैं, जो इसे एक दिव्य आभा प्रदान करता है।

चार मुखों वाला मंदिर

यह मंदिर ‘चतुर्मुखी’ रूप में बनाया गया है, अर्थात् इसके चारों दिशाओं में प्रवेशद्वार हैं, जो जैन धर्म में समदृष्टि और समानता के भाव को दर्शाते हैं। इसका मतलब है कि भगवान की कृपा हर दिशा में समान रूप से फैलती है। मंदिर के अंदर की दीवारों और स्तंभों पर की गई मूर्तिकला में तीर्थंकरों के जीवन प्रसंगों को बारीकी से दर्शाया गया है, जो श्रद्धालुओं को उनके सिद्धांतों की स्मृति कराते हैं।
ध्यान और साधना का स्थान

रणकपुर मंदिर न केवल एक पर्यटन स्थल है, बल्कि यह साधकों और जैन मुनियों के लिए ध्यान और आत्मविचार का केंद्र भी है। यहाँ का शांत और आध्यात्मिक वातावरण, संगमरमर की ठंडी भूमि और गूंजती मंत्रध्वनि, हर आगंतुक को भीतर से स्पर्श करती है। यहां समय बिताना आत्मा को एक विशेष प्रकार की शांति प्रदान करता है, जिसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता।

कैसे पहुँचे रणकपुर

रणकपुर मंदिर उदयपुर से लगभग 90 किलोमीटर दूर अरावली की पहाड़ियों में बसा है। उदयपुर निकटतम हवाई अड्डा और रेलवे स्टेशन है, जहाँ से सड़क मार्ग द्वारा रणकपुर पहुँचा जा सकता है। पास ही स्थित कुंभलगढ़ और माउंट आबू जैसे स्थल इसे एक परिपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक यात्रा बना देते हैं।
रणकपुर जैन मंदिर न केवल जैन धर्म के अनुयायियों के लिए, बल्कि प्रत्येक भारतीय के लिए गौरव का विषय है। यह मंदिर एक संदेश देता है—कि जब आस्था, कला और सहयोग एक साथ आते हैं, तब ऐसे दिव्य स्मारक जन्म लेते हैं। यदि आप जीवन में कभी अध्यात्म और कला दोनों को एक स्थान पर अनुभव करना चाहते हैं, तो रणकपुर मंदिर अवश्य जाएँ।

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Web Title-Ranakpur Hidden Gem Between Jodhpur and Udaipur, Known for its 15th Century Jain Temple
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