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राजस्थान: नवरात्र में इन मंदिरों में उमड़ता श्रद्धा का सैलाब, भक्ति से सराबोर रहता है माहौल

नवरात्रि का पर्व भारत की संस्कृति, आस्था और शक्ति साधना का सबसे पावन अवसर होता है। यह केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि आत्मिक शुद्धिकरण और नारी शक्ति की आराधना का पर्व है। भारतवर्ष में देवी के विभिन्न रूपों की उपासना की जाती है और उनके मंदिरों में लाखों भक्त श्रद्धा के साथ दर्शन करने पहुंचते हैं। ऐसे ही शक्तिस्थलों से समृद्ध है राजस्थान, जहां हर मंदिर के पीछे एक कथा, एक चमत्कार और एक गहरा आध्यात्मिक संदेश छिपा है। आइए जानते हैं उन प्रमुख शक्तिपीठों के बारे में जहां इस नवरात्रि आपकी एक यात्रा, जीवन को नई ऊर्जा और भक्ति से भर सकती है। 1. करणी माता मंदिर – देशनोक, बीकानेर राजस्थान के बीकानेर जिले में स्थित करणी माता मंदिर एक अनोखे चमत्कार के लिए प्रसिद्ध है—यहाँ देवी माँ के साथ रहते हैं हजारों चूहे। जी हां, यह मंदिर दुनिया भर में ‘चूहों वाली माता’ के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि ये चूहे करणी माता के वंशज हैं और इन्हें यहाँ पूरी श्रद्धा और सम्मान के साथ पूजा जाता है।
मंदिर में सफेद चूहा दिखाई देना अत्यंत शुभ माना जाता है और उसे ‘काबा’ कहा जाता है। करणी माता बीकानेर के राठौड़ राजवंश की कुलदेवी हैं। यह मंदिर 15वीं शताब्दी में बना और इसकी वास्तुकला व सौंदर्य आज भी उतना ही प्रभावशाली है। चैत्र और आश्विन नवरात्रों में यहाँ मेले का आयोजन होता है, जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु माता के दर्शन को आते हैं। मंदिर परिसर में भजन-कीर्तन, विशेष पूजन और भव्य आयोजन होते हैं जो आत्मा को परम शक्ति से जोड़ने का अनुभव कराते हैं।
2. जीण माता मंदिर – सीकर, शेखावाटी अंचल
राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र में स्थित जीण माता का मंदिर श्रद्धा, विश्वास और आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रमुख केंद्र है। यह मंदिर सीकर जिले की पहाड़ियों में स्थित है और इसकी गिनती देश के प्राचीनतम शक्तिपीठों में होती है। मान्यता है कि माता जी ने यहां कई चमत्कार दिखाए और संकटों से अपने भक्तों की रक्षा की।
जीण माता, अजमेर के चौहान वंश की कुलदेवी मानी जाती हैं। हर नवरात्र में यहाँ हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं, खासकर राजस्थान, हरियाणा और उत्तर भारत के हिस्सों से। मंदिर तक पहुँचने के लिए भक्तों को पहाड़ी चढ़ाई करनी पड़ती है, जिसे भक्ति का एक विशेष परीक्षण माना जाता है। जीण माता से लगभग 28 किलोमीटर दूर स्थित खाटूश्याम जी मंदिर की निकटता इस क्षेत्र को और भी धार्मिक महत्व प्रदान करती है।
3. शीतला माता मंदिर – चाकसू, जयपुर
जयपुर के पास चाकसू में स्थित शीतला माता का मंदिर बच्चों की रक्षा करने वाली देवी के रूप में विशेष प्रतिष्ठित है। शीतला माता को चेचक की देवी, बाल रोगों की नाशक, और पालनहार के रूप में पूजा जाता है।
यहाँ माता की खंडित मूर्ति है, और फिर भी भक्तों की श्रद्धा अटल है। माता को विशेष रूप से ‘बासडिया’ का भोग लगाया जाता है, जो रात्रि को बनाया गया भोजन होता है और सुबह उन्हें अर्पित किया जाता है। हर वर्ष चैत्र कृष्ण अष्टमी को विशाल मेला लगता है, जिसमें हज़ारों लोग आते हैं।
मंदिर का निर्माण जयपुर के शासक माधो सिंह द्वितीय ने करवाया था और यह आज भी जयपुरवासियों की गहरी आस्था का केंद्र है। माता के दर्शन से संतान-सुख, आरोग्य और गृह शांति की प्राप्ति होती है।
4. शाकम्भरी माता मंदिर – सांभर, जयपुर
राजस्थान के सांभर कस्बे में स्थित शाकम्भरी माता का मंदिर अत्यंत चमत्कारी और ऐतिहासिक है। यह मंदिर सांभर झील के किनारे स्थित है, जो भारत की सबसे बड़ी नमक झील भी है।
एक मान्यता के अनुसार, जब इस क्षेत्र में भयंकर सूखा और अकाल पड़ा था, तब माता शाकम्भरी ने वनस्पति और जल उत्पन्न कर लोगों की रक्षा की। इस कारण उन्हें ‘शाकम्भरी’ कहा गया—अर्थात ‘शाक (वनस्पति) देने वाली देवी’।
यह मंदिर खंडेलवाल समाज की कुलदेवी का स्थान है और नवरात्रि के अवसर पर यहाँ का वातावरण भक्ति, उत्सव और शक्ति आराधना से सराबोर हो जाता है। झुंझुनू जिले के उदयपुर वाटी में भी शाकम्भरी माता का एक प्राचीन मंदिर स्थित है।
5. शिला देवी मंदिर – आमेर, जयपुर
जयपुर के आमेर किले में स्थित शिला माता का मंदिर शाही भव्यता और आध्यात्मिक गरिमा का अद्भुत संगम है। इस मंदिर की स्थापना कछवाहा वंश के शक्तिशाली राजा मान सिंह प्रथम ने की थी।
माता की मूर्ति को बंगाल से लाया गया था, जहाँ यह केदारनाथ नामक शासक के अधीन थी। माता को अन्नपूर्णा देवी का रूप भी माना जाता है और यहाँ उन्हें विशेष प्रसाद के रूप में जल, मिठाई और कुछ विशेष अवसरों पर ‘शराब’ भी चढ़ाई जाती है—यह भक्त की भावना और परंपरा पर निर्भर करता है।
नवरात्रि के दौरान आमेर किला और शिला माता मंदिर भव्य रोशनी, पूजा-अर्चना और सांस्कृतिक आयोजनों से जगमगा उठते हैं। यह मंदिर न केवल धार्मिक श्रद्धा का केंद्र है, बल्कि भारत की राजशाही और देवी भक्ति की एक सुंदर मिसाल भी है।
नवरात्रि की यात्रा को बनाएँ यादगार
राजस्थान के ये देवी मंदिर केवल पूजास्थल नहीं, बल्कि आत्मिक शांति, शक्ति जागरण और सांस्कृतिक समृद्धि के केंद्र हैं। इन स्थलों की यात्रा न केवल माँ के दर्शन का अवसर है, बल्कि हमारी परंपराओं, आस्था और शक्ति साधना को समझने और आत्मसात करने का भी माध्यम है।
इस नवरात्रि, माता रानी का आशीर्वाद लेने राजस्थान के इन शक्तिपीठों की यात्रा ज़रूर करें और अपने जीवन में माँ की कृपा और ऊर्जा का अनुभव करें।

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Web Title-Navratri Special: This festive season, visit these powerful and historic Devi temples in Rajasthan
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