न्यूयॉर्क। अमेरिका के एक सरकारी आयोग ने असम को कश्मीर मुद्दे से जोड़े जाने के प्रयासों के बीच कहा है कि भारत में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) धार्मिक स्वतंत्रता में गिरावट का एक रुझान पेश करता है। यूएस इंटरनेशनल कमीशन ऑन रिलीजियस फ्रीडम (यूएसआईसीआरएफ) ने मंगलवार को जारी एक संक्षिप्त बयान में कहा कि एनआरसी धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने का उपकरण है और विशेष रूप से भारतीय मुस्लिमों को देशविहीन करने के लिए है, जो भारत के अंदर धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति में गिरावट का एक और उदाहरण बन गया है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
बयान में कहा गया है कि असम में 19 करोड़ लोगों पर राज्य से बाहर किए जाने का खतरा मंडरा रहा है। यह बयान कश्मीर मुद्दे के बाद एनआरसी का इस्तेमाल करके मानवाधिकार की आड़ में भारत के खिलाफ अमेरिका में चला एक नया राजनीतिक पैंतरा है। कांग्रेस की दो समितियों के समक्ष कई लोगों ने कश्मीर से विशेष दर्जे को हटाने और वहां प्रतिबंध लगाने के लिए भारत की आलोचना की और उन्होंने असम में लाए गए एनआरसी का मुद्दा भी उठाया।
मानवाधिकारों पर प्रतिनिधिसभा के लैंटोस कमीशन के समक्ष पिछले सप्ताह हुई एक सुनवाई के दौरान यूएसआईसीआरएफ की आयुक्त अनुरिमा भार्गव की कश्मीर पर गवाही के उद्धरणों के साथ एक बयान जारी किया गया है। अनुरिमा ने जोर देकर कहा था, इससे भी बुरी बात यह है कि भारतीय राजनीतिक अधिकारियों ने असम में मुसलमानों को अलग-थलग करने और उन्हें देश से बाहर निकालने के लिए एनआरसी प्रक्रिया का इस्तेमाल करने के अपने इरादे से बार-बार अवगत कराया है। और अब राजनेता पूरे भारत में एनआरसी का विस्तार करने और मुसलमानों के लिए पूरी तरह से नागरिकता के अलग मानक लागू करने की मांग कर रहे हैं।
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