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अफ़ग़ानिस्तान: उत्तरी हिस्से में आए भूकम्प के बाद, सहायता प्रयासों में जुटी यूएन एजेंसियाँ

 - World News in Hindi

अफ़ग़ानिस्तान के उत्तरी हिस्से में बीती रात एक शक्तिशाली भूकम्प में कम से कम 20 लोगों के मारे जाने और 100 से अधिक के घायल होने की ख़बर है. सोमवार को आए इस भूकम्प की रिक्टर पैमाने पर तीव्रता 6.3 आंकी गई, जिसके तुरन्त बाद यूएन एजेंसियाँ पीड़ितों तक मानवीय राहत पहुँचाने के लिए प्रयास कर रही हैं. इससे लगभग दो महीने पहले, पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान के चार प्रान्तों में भीषण भूकम्प से व्यापक पैमाने पर जान-माल की हानि हुई थी.विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बताया कि यूएन एजेंसी के सहायताकर्मी प्रभावित इलाक़ों में ज़मीन पर मौजूद हैं और घायलों को उपचार मुहैया करा रहे हैं.विश्व खाद्य कार्यक्रम ने भी प्रभावित समुदायों के लिए खाद्य समर्थन और आपात सहायता की जानकारी दी है और आवश्यकताओं का आकलन किया जा रहा है. Tweet URL

अभी तक मिली जानकारी के अनुसार, इस भूकम्प का केन्द्र मज़ार-ए-शरीफ़ नामक शहर के पास था, और सोमवार तड़के 1 बजे इसके झटके महसूस किए गए. शक्तिशाली झटकों की वजह से इमारतें ध्वस्त हो गईं और रात में सो रहे लोग उसके मलबे में दब गए.सोशल मीडिया माध्यमों पर शहर में स्थित हज़रत अली की मज़ार फ़ुटेज है, जहाँ मलबे के आस-पास आम लोग देखे जा सकते हैं. शिया समुदाय के लिए यह एक पवित्र मज़ार हैं, जिसे नीली मस्जिद भी कहा जाता है.समनगन नामक पर्वतीय इलाक़ा इससे सर्वाधिक प्रभावित बताया गया है, जहाँ अनेक लोगों के हताहत होने की जानकारी है. हालांकि हवाई मार्ग से कराए गए आरम्भिक आकलन में ज़्यादा नुक़सान की आशंका कम है.स्विट्ज़रलैंड के सहयोग से भी स्थिति की समीक्षा की गई है, जिसमें आम लोगों के सामूहिक विस्थापन के फ़िलहाल कोई संकेत नहीं हैं, जोकि एक विध्वंसकारी भूकम्प के बाद की स्थिति में हो सकता था.अफ़ग़ानिस्तान में यूएन के कार्यवाहक मानवतावादी समन्वयक रिचर्ड ट्रैनचर्ड ने बताया कि कुनार प्रान्त में कुछ सप्ताह पहले आई भयावह आपदा की तुलना में यह राहत की बात है कि फ़िलहाल व्यापक क्षति नहीं देखी गई है.अगस्त में आई आपदा की पीड़ाइससे पहले, 31 अगस्त को रिक्टर पैमाने पर 6.0 की तीव्रता वाले भूकम्प से कुनार प्रान्त में हज़ारों घर, बुनियादी ढाँचा ढह गया था. पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान में इस आपदा में लाखों लोग विस्थापित हुए थे और पाँच लाख लोगों को तत्काल मेडिकल सहायता की आवश्यकता थी.यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने बताया कि अगस्त में भूकम्प से पहले एक आपात स्थिति पैदा हुई थी, जोकि फिर बाद में एक विस्थापन संकट में तब्दील हो गई.लोगों को लम्बी अवधि के लिए अस्थाई शिविरों में रहना पड़ रहा है और उनके स्वास्थ्य के लिए जोखिम भी बढ़ रहे हैं. विस्थापित परिवारों के लिए सुरक्षित पेयजल की कमी है.खुले में शौचालय जाने और स्वास्थ्य सेवाओं की सुलभता न होने से भी चिन्ता व्याप्त है और महिलाओं के लिए निजी स्थान का अभाव है.मातृत्व व नवजात शिशुओं के लिए स्वास्थ्य देखभाल पर, मानवतावादी कार्यों के लिए धनराशि कटौती का असर पड़ रहा है. यूएन एजेंसियाँ अपने साझेदार संगठनों के साथ मिलकर राहत प्रयासों को मज़बूती देनी में जुटी हैं और आवश्यक सामान का भंडारण किया जा रहा है और रोग निगरानी टीम भी सक्रिय हैं.भूकम्प की वजह से ध्वस्त हो अस्पतालों की मरम्मत का कार्य किया जा रहा है, ताकि वहाँ पर फिर से देखभाल सेवाओं को शुरू किया जा सके.

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