एक ऐसा समाज बनाने के क्या मायने हैं जहाँ हर कोई स्वयं को उसका हिस्सा समझे? डिजिटल विभाजन, जनसंख्याओं में बदलाव और जलवायु परिवर्तन से प्रभावित दुनिया में, 'सभी के लिए सामाजिक विकास' का वादा बहुत अहम महसूस होता है, भले ही ये वादा अभी अधूरा है. फिर भी, यह विचार कि विकास, जन-केन्द्रित, समावेशी और न्यायसंगत होना चाहिए, बिल्कुल भी नया नहीं है. यह एक ऐसा दृष्टिकोण है जिसके प्रति दुनिया ने 30 साल पहले, कोपेनहेगन में संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन में प्रतिबद्धता जताई थी और जो आज भी प्रासंगिक है.दुनिया भर के नेता अगले सप्ताह क़तर की राजधानी दोहा में एक उच्च-स्तरीय यूएन सम्मेलन के लिए एकत्र होंगे, जिसका उद्देश्य उस दृष्टिकोण को पुनर्जीवित करना है. 4 से 6 नवम्बर तक, सामाजिक विकास के लिए दूसरा विश्व शिखर सम्मेलन राष्ट्राध्यक्षों, मंत्रियों, नागरिक समाज और विशेषज्ञों को, प्रगति का आकलन करने, निरन्तर जारी कमियों को दूर करने और आगे का रास्ता तैयार करने की ख़ातिर आमंत्रित करेगा.इसकी जड़ में एक सरल मगर प्रभावशाली प्रश्न निहित है: हम यह किस तरह सुनिश्चित कर सकते हैं कि कोई भी पीछे नहीं छूटे?संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक एवं सामाजिक मामलों के उप-महासचिव ली जुनहुआ कहते हैं, "यह शिखर सम्मेलन एक महत्वपूर्ण क्षण में आयोजित हो रहा है."ली जुनहुआ समझाते हुए कहते हैं, "असमानताएँ बढ़ रही हैं. विश्वास कम हो रहा है. समुदाय टकराव और युद्ध, जलवायु परिवर्तन और त्वरित प्रौद्योगिकी बदलावों से जूझ रहे हैं. फिर भी, हम असाधारण नवाचार, सहनशीलता और एकजुटता भी देख रहे हैं. यह स्थिति, सरकारों और उनके लोगों के बीच – और राष्ट्रों के दरम्यान – विश्वास को बहाल करने का हमारा अवसर है."कार्रवाई के लिए वैश्विक पुकार © UNICEF/Pun आर्थिक एवं सामाजिक मामलों के लिए यूएन सहायक महासचिव ब्योर्ग सैंडकजेर कहती हैं कि यह शिखर सम्मेलन, ऐसे समय में "कार्रवाई के लिए एक वैश्विक आहवान" की नुमाइन्दगी करता है, जब एक अरब से अधिक लोग अब भी जटिल ग़रीबी में जीवन जी रहे हैं, और दुनिया की 40 प्रतिशत आबादी, सामाजिक सुरक्षा के लाभों तक पहुँच से वंचित है.उन्होंने यूएन न्यूज़ को बताया कि यह बैठक सामूहिक प्रगति में विश्वास में नई जान फूँकने के बारे में है – "यह विश्वास कि हम बदलाव ला सकते हैं."यह बैठक न्यूयॉर्क में महीनों तक चली अन्तर-सरकारी वार्ताओं के बाद हो रही है, जिसका समापन, दोहा राजनैतिक घोषणा-पत्र पर सहमति के साथ हुआ. इस घोषणा-पत्र को, दोहा सम्मेलन के उदघाटन सत्र में औपचारिक रूप से अपनाए जाने की उम्मीद है.संयुक्त राष्ट्र में क़तर की राजदूत और स्थाई प्रतिनिधि अलया अहमद सैफ़ अल-थानी ने ज़ोर देकर कहा है कि यह घोषणा-पत्र शिखर सम्मेलन की बुनियाद है.उन्होंने कहा, "यह एक वैश्विक कार्रवाई का आहवान है जो सरकारों को, सभी के लिए सामाजिक विकास प्राप्त करने हेतु एक सक्षम आर्थिक, राजनैतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और क़ानूनी वातावरण बनाने के लिए फिर से प्रतिबद्धता की डोर में बांधता है."2030 तक सतत विकास लक्ष्यों (SDG) को प्राप्त करने के लिए केवल पाँच वर्ष बचे हैं, और दुनिया अनेक मोर्चों पर बुरी तरह पिछड़ रही है. निर्धनता कम करने की प्रगति धीमी हो गई है, लैंगिक समानता की दिशा में प्रगति रुक गई है और बहुत से युवाओं का भविष्य अनिश्चित है.सहायक महासचिव ब्योर्ग सैंडकजेर ने बताया कि सदस्य देशों ने जब वर्ष 2024 में इस शिखर सम्मेलन का आहवान किया था, तो उन्होंने एक स्पष्ट सन्देश दिया था: सामाजिक विकास को एक बार फिर केन्द्र में लाना होगा.यह 2030 के एजेंडे के मूल के प्रति पुनः प्रतिबद्ध होने और यह सुनिश्चित करने के बारे में है कि कोई भी पीछे नहीं छूटे. © UNICEF/Michael Song गतिशील और समावेशीमेज़बान देश क़तर द्वारा फ्रांस के साथ संयुक्त रूप से शुरू किया गया एक नया दोहा समाधान मंच, सामाजिक विकास के लिए, नीतिगत सुधारों से लेकर निर्धनता, कार्य और समावेशन से निपटने वाली साझेदारियों तक, वास्तविक दुनिया की प्रतिबद्धताओं और नई पहलों पर प्रकाश डालेगा.राजदूत अल-थानी कहती हैं, "दोहा एक बार फिर वैश्विक एकजुटता के प्रतीक के रूप में खड़ा है, जहाँ प्रतिबद्धताएँ कार्यों और साझेदारियों को प्रेरित करती हैं, प्रगति को आगे बढ़ाती हैं और सभी के लिए एक समावेशी, टिकाऊ और शान्तिपूर्ण भविष्य का साझा दृष्टिकोण साकार होता है."उस मोड़ से चलकरदिलचल्प बात है कि ब्योर्ग सैंडकजेर ने 1995 में कोपेनहेगन में हुए प्रथम विश्व शिखर सम्मेलन में, एक युवा कार्यकर्ता के रूप में, भाग लिया था. उनके लिए दोहा निरन्तरता और परिवर्तन दोनों का प्रतिनिधित्व करता है.उन्होंने याद करते हुए कहा कि उस समय बहुत आशावाद था – एक विश्वास कि बहुपक्षवाद और सहयोग आगे बढ़ते रहेंगे."आज के युवाओं को कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है – झूठी जानकारी (Fake information), जलवायु सम्बन्धी चिन्ता, अविश्वास." "लेकिन मेरा उनके लिए सन्देश सरल है: आपकी भागेदारी मायने रखती है. अपनी आवाज़ उठाएँ, साझेदारियाँ बनाएँ, कार्रवाई के लिए प्रेरित करें."कथनी से करनी तक © UNICEF/Omid Fazel उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि शिखर सम्मेलन की सफलता भाषणों से नहीं, बल्कि अमल से मापी जाएगी.उन्होंने कहा कि एक मज़बूत घोषणा-पत्र और पहले से मौजूद साझेदारियों के साथ "असली परीक्षा".“प्रतिबद्धताओं को लोगों के जीवन में वास्तविक सुधारों में बदलना है – अच्छे रोज़गार, सामाजिक सुरक्षा, समावेशन. इसी तरह हमें मालूम हो सकेगा कि हम सफल हुए हैं."विशाल अपेक्षाएँदोहा में विश्व नेताओं के एकत्र होने से, बहुत अधिक उम्मीदें जुड़ी हुई हैं – और साथ ही तात्कालिकता की भावना भी है. कोपेनहेगन सम्मेलन के तीस साल बाद, कार्य वही है: एक ऐसी दुनिया का निर्माण करना जहाँ प्रगति केवल धन से नहीं, बल्कि कल्याण, समानता और मानवीय गरिमा से मापी जाए.यूएन न्यूज़ इस सम्मेलन की विशेष कवरेज मुहैया कराएगा.
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