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ईरान: इसराइली हमलों के बाद आम नागरिकों के दमन, मृत्युदंड मामलों में उछाल पर चिन्ता

 - World News in Hindi

ईरान में मानवाधिकारों के लिए स्थिति बद से बदतर हो रही है, दमनात्मक कार्रवाई बढ़ रही है और मौत की सज़ा दिए जाने के मामलों में असाधारण ढंग से उछाल आया है. ईरान में मानवाधिकारों की स्थिति के लिए स्वतंत्र तथ्य खोजी मिशन ने महासभा में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए यह जानकारी दी है. स्वतंत्र मिशन की प्रमुख सारा होसैन ने न्यूयॉर्क में यूएन मुख्यालय में जानकारी देते हुए कहा कि जून 2025 में इसराइली हवाई हमलों के बाद ये मामले तेज़ी से बढ़े हैं. इन हमलों में एक हज़ार से अधिक लोग मारे गए थे.ईरान की सरकार के आँकड़ों के अनुसार, 276 आम नागरिक मारे गए, जिनमें 38 बच्चे और 102 महिलाएँ हैं. साढ़े पाँच हज़ार से अधिक लोग घायल हुए थे. नागरिक प्रतिष्ठानों, मेडिकल केन्द्रों, स्कूलों को गहरी क्षति हुई थी. Tweet URL

ईरान की राजधानी तेहरान में कुख्यात ऐविन कारागार पर भी बिना किसी चेतावनी के हमला किया गया था, जिसमें कम से कम 80 लोगों की जान गई.इस जेल में 1,500 से लोग बन्दी हैं, जिनमें अनेक मानवाधिकार कार्यकर्ता भी हैं. ईरान ने भी इसराइल पर मिसाइल हमले किए थे, जिनमें 31 लोग की जान गई और 3,300 लोग घायल हो गए थे.नागरिक आबादी पर प्रहारस्वतंत्र मिशन की प्रमुख के अनुसार, इन हमलों के बाद ईरान की सरकार ने घरेलू स्तर पर दमनात्मक कार्रवाई शुरू की, जिससे जीवन जीने के अधिकार को गहरी ठेस पहुँची है.मानवाधिकार उच्चायुक्त द्वारा नियुक्त जाँचकर्ताओं ने हज़ारों लोगों को गिरफ़्तार किए जाने के मामलों में जानकारी जुटाई है, जिनमें वकील, पत्रकार, मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं. सोशल मीडिया पर हिंसक टकराव के प्रति अपने विचार व्यक्त करने वाले लोगों को भी हिरासत में लिया गया.वर्ष 2025 में ईरान में मृत्युदंड के मामलों में भी उछाल आया है, और यह 2015 के बाद अपने सबसे ऊँचे स्तर पर हैं. स्वतंत्र मिशन ने जिन मृत्युदंड मामलों की जाँच की है, वे अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानूनों के अनुरूप प्रतीत नहीं होते हैं.बताया गया है कि ऐसे क़ानून पास किए गए, जिनके ज़रिए जासूसी के लिए मौत की सज़ा का इस्तेमाल बढ़ाया गया, और सोशल मीडिया पर तथाकथित झूठी जानकारी साझा करने का भी आपराधिकरण किया गया.अल्पसंख्यक समुदाय भी प्रभावितईरान सरकार की कार्रावई में जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यक भी प्रभावित हुए हैं. 330 से अधिक कुर्द और बड़ी संख्य मे अरब नागरिकों को गिरफ़्तार किया गया है और लाखों अफ़ग़ान नागरिकों को देश से बाहर निकाला जा चुका है.बहाई धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों पर यहूदी जासूस होने के आरोप मढ़े गए हैं और घर पर धावा बोलकर अनेक लोगों को गिरफ़्तार किया गया है और सम्पत्ति को ज़ब्त कर लिया गया है.इसके अलावा, महिलाओं व लड़कियों को उनकी लैंगिकता की वजह से जानबूझकर जान से मारने के मामले भी बढ़े हैं, और मार्च से सितम्बर 2025 के दौरान ऐसे 60 मामले दर्ज किए जा चुके हैं.हिजाब न पहनने वाली महिलाओं को सेवाएं प्रदान करने वाले व्यवसायों व दुकानों को भी बन्द किया गया है और निगरानी व्यवस्था को पुख़्ता कर दिया गया है. तथाकथित नैतिकता पुलिस फिर से सड़कों पर ग़श्त लगा रही है.

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