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भारत-यूएन विकास साझेदारी कोष, 2030 विकास एजेंडे को आगे बढ़ाने में मददगार

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संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि भारत-यूएन विकास साझेदारी कोष, सतत विकास के 2030 एजेंडे को आगे बढ़ाने और वैश्विक दक्षिण के देशों के बीच एकजुटता को मज़बूत करने के लिए, भारत के दीर्घकालिक समर्थन का प्रमाण है, जिसके ज़रिए भारत, दक्षिण-दक्षिण सहयोग में एक सक्रिय नेता के रूप में जाना जा रहा है. संयुक्त राष्ट्र के दक्षिण-दक्षिण सहयोग कार्यालय (UNOSSC) की निदेशक दीमा अल-ख़तीब ने शुक्रवार को, भारत-यूएन विकास साझेदारी कोष के 8वें वार्षिक कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि भारत, विभिन्न तरीक़ों और दृष्टिकोणों के माध्यम से एकजुटता के साथ विकास सहायता प्रदान कर रहा है, जिसका मुख्य उद्देश्य, वैश्विक दक्षिण के अनेक देशों के आर्थिक विकास और संस्थागत क्षमता को सहारा देना है.दक्षिण-दक्षिण सहयोग, दरअसल विकासशील देशों के बीच विकास साझेदारी को कहा जाता है, जिसमें ये देश, आपसी सम्मान व लाभों के सिद्धान्तों पर आधारित, साझा विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए सहयोग करते हैं. Tweet URL

भारत-यूएन विकास साझेदारी कोष, इसी भावना के तहत, अनेक देशों में विकास परियोजनाएँ चला रहा है. यह कोष 2017 में, 15 करोड़ डॉलर मुहैया कराने के संकल्प के साथ आरम्भ किया गया था, जिसे संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के सहयोग से चलाया जा रहा है, और इसका प्रबन्धन यूएन दक्षिण-दक्षिण सहयोग कार्यालय (UNOSSC) करता है.इस कोष की वार्षिक रिपोर्ट में, अभी तक 63 देशों में लागू की गईं, 80 से अधिक परियोजनाओं के परिणामों की तरफ़ ध्यान आकर्षित किया गया है.इनमें निकारागुआ में विकलांगता वाले बच्चों के लिए समावेशी शिक्षा को आगे बढ़ाना, सुरीनाम में खाद्य सहनक्षमता को मज़बूत करना, किरगिज़ गणराज्य में माताओं के स्वास्थ्य की ख़ातिर टैलीमैडिसिन का विस्तार करना और बुरूंडी में, महिलाओं व युवाओं के लिए, व्यावसायिक प्रशिक्षिण मुहैया कराने जैसी परियोजनाएँ शामिल हैं.प्रभावशील परिणामों का एक और वर्षUNOSSC की निदेशक दीमा अल-ख़तीब ने कहा कि ऐसे में जब हम भारत-संयुक्त राष्ट्र विकास साझेदारी कोष की उल्लेखनीय यात्रा के एक और वर्ष का जश्न मना रहे हैं, यह एक अहम बात है कि यह कोष, भारत की एकजुटता और दक्षिण-दक्षिण सहयोग को मूर्त रूप देने के ज्वलन्त उदाहरणों में से एक है.उन्होंने कहा, “दक्षिण-दक्षिण सहयोग के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNOSSC) को इस कोष के प्रबन्धन के लिए भारत के साथ साझेदारी पर गर्व है और सबसे महत्वपूर्ण बात, कम विकसित देशों, छोटे द्वीपीय विकासशील देशों और भूमिबद्ध विकासशील देशों में, 13 यूएन प्रणाली संस्थाओं की भागेदारी के ज़रिए प्राप्त किए गए प्रभावशाली परिणामों पर गर्व है.”दीमा अल-ख़तीब ने कहा कि इस कोष की वार्षिक रिपोर्ट में बताया गया है कि विभिन्न विकासशील देशों में लागू की जा रही परियोजनाओं में, किस तरह ज़मीनी स्तर पर यूएन प्रणाली की तकनीकी विशेषज्ञता का लाभ उठाकर, सतत विकास पहलों को सहारा दिया जा रहा है."साथ ही, ज्ञान और विशेषज्ञता साझा करने में दक्षिण-दक्षिण सहयोग का लाभ उठाते हुए, सीमाओं के पार परियोजनाओं का विस्तार किया जा रहा है."भारत-यूएन विकास साझेदारी कोष के सहयोग से चलाई जा रहीं, विविध परियोजनाओं में, जलवायु परिवर्तन के लिए सहनशीलता, डिजिटल प्रौद्योगिकियों के आरम्भ, शिक्षा में नवाचार, स्वास्थ्य सहनक्षमता, साथ ही विकास के लिए वित्तपोषण पर ज़ोर दिया गया है.उन्होंने कहा, “हम भारत-संयुक्त राष्ट्र कोष के साथ अपनी निरन्तर साझेदारी की आशा करते हैं, जो दक्षिण-दक्षिण सहयोग का एक प्रतीक है और दुनिया भर में नीतिगत नवाचार और सतत परिवर्तन को प्रेरित करता है.”वसुधैव कुटुम्बकम की मिसाल UNOSSC संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि राजदूत पी हरीश ने, दक्षिण-दक्षिण सहयोग और वसुधैव कुटुम्बकम यानि "विश्व एक परिवार है" के मार्गदर्शक सिद्धान्त के प्रति भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता की पुष्टि की.उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम का सार, यह सुनिश्चित करना है कि भारत का विकास और साझेदारी, हमारे सहयोगी देशों की प्राथमिकताओं और मुख्य ध्यान वाले क्षेत्रों से निर्देशित हो, यानि इसमें भारत के सहयोगी देशों की आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं का भी ध्यान रखा जाए.उन्होंने बताया कि यह कोष मुख्य रूप से छोटे द्वीपीय विकासशील देशों, कम विकासशील देशों और स्थलबद्ध विकासशील देशों की विकास आवश्यकताओं पर केन्द्रित है.“इस कोष की विशिष्टता यह है कि परियोजनाएँ, देशों में राष्ट्रीय स्तर पर संचालित और विशिष्ट रूप से तैयार की जाती हैं” यानि इन परियोजनाओं में उन देशों की स्थानीय वास्तविकताओं, प्राथमिकताओं और आवश्यकताओं का ख़ास ध्यान रखा जाता है.भारत की एक सांसद और इस कार्यक्रम के लिए भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अध्यक्ष डॉक्टर (श्रीमती) डी पूरणदेश्वरी ने इस कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि भारत ने दिखाया है कि विकास, समावेशी और टिकाऊ प्रगति के ज़रिए सम्भव है.उन्होंने कहा, "ग़रीबी कम करने, स्वास्थ्य देखभाल, और शिक्षा क्षेत्र में हमारे अनुभवों ने, हमारे सहयोगी देशों में हमारी विकास पहलों को मार्ग दिखाया है.""हमारा दक्षिण-दक्षिण सहयोग में विश्वास रखते हैं, और हमने अपनी विशेषज्ञता साझा करने के लिए, अन्य विकासशील देशों के साथ काम किया है, जिसमें क्षमता निर्माण कार्यक्रमों का प्रयोग भी शामिल है."

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