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युद्ध-विरोधी असहमति को दबाने के लिए, रूस कर रहा है 'भय के शासन' का प्रयोग

 - World News in Hindi

संयुक्त राष्ट्र की एक स्वतंत्र विशेषज्ञ मारियाना कात्ज़ारोवा ने आगाह किया है कि रूस द्वारा, यूक्रेन में युद्ध के विरोध को दबाने के लिए, राष्ट्रीय सुरक्षा और जन सुरक्षा क़ानूनों का दुरुपयोग, "ख़तरनाक स्तर" पर पहुँच गया है. मारियाना कात्ज़ारोवा, संयुक्त राष्ट्र से मिले शासनादेश के तहत, रूस में मानवाधिकारों की स्थिति की निगरानी करती हैं. मारियाना कात्ज़ारोवा ने यूएन महासभा को सौंपी अपनी नई रिपोर्ट में कहा है कि पिछले तीन वर्षों में, "हज़ारों लोगों को राजद्रोह, जासूसी, उग्रवाद और आतंकवाद सहित राजनैतिक रूप से प्रेरित आरोपों में, अक्सर मनमाने सबूतों के आधार पर और बन्द कमरे में मुक़दमों की सुनवाई के बाद, क़ैद किया गया है, जिनमें बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक शामिल हैं."यूएन मानवाधिकार परिषद द्वारा नियुक्त विशेष रैपोर्टेयर मारियाना कात्ज़ारोवा ने कहा कि उनकी रिपोर्ट "एक निरन्तर जारी रुझान को उजागर करती है जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा और जन सुरक्षा क़ानूनों को, असहमति को आपराधिक बनाने और नागरिक अधिकारों को दबाने के लिए हथियार बनाया जाता है." Tweet URL

राजद्रोह के मुकदमों में उछाल2022 में जब रूस ने यूक्रेन पर अपना पूर्ण आक्रमण शुरू किया, तब से राजद्रोह के मुक़दमों की संख्या, दहाई अंकों से बढ़कर 2025 के मध्य तक लगभग 760 फ़ैसलों तक पहुँच गई है.मारियाना कात्ज़ारोवा ने कहा है कि जासूसी के दायरे को, एक सीमित प्रावधान से, एक व्यापक प्रावधान में बदल दिया गया है, जिसमें विस्तृत परिभाषाएँ और आपराधिक साक्ष्य के लिए मानक कम कर दिए गए हैं - विशेष रूप से यूक्रेन युद्ध के सन्दर्भ में.यूक्रेन पर पूर्ण आक्रमण से पहले जासूसी के मामलों की संख्या केवल पाँच थी, जो 2025 के मध्य तक बढ़कर 159 हो गई, जिनमें 182 लोग शामिल थे.कठोर दंड सुनिश्चित करने के लिए अक्सर इन मामलों को, कथित आतंकवाद सम्बन्धी अपराधों के साथ जोड़ दिया गया.रूसी अदालतों ने वर्ष 2025 के दौरान, प्रतिदिन पाँच से ज़्यादा, आतंकवाद से सम्बन्धित दंड सुनाए हैं - जो एक रिकॉर्ड है.इस बीच, "आतंकवादियों और चरमपंथियों की (राष्ट्रीय) सूची" में 2022 में 1,600 नाम थे, जो वर्ष 2025 में बढ़कर 18 हज़ार से अधिक हो गए हैं. इनमें 150 से ज़्यादा बच्चे और सैकड़ों संगठन शामिल हैं.दमन का बढ़ता दायरामारियाना कात्ज़ारोवा ने कहा कि जिन लोगों को निशाना बनाया गया है उनमें प्रमुख विपक्षी राजनेता, व्यवसायी, पत्रकार, वकील, कलाकार और शिक्षाविद शामिल हैं, जो यूक्रेन के ख़िलाफ़ रूस के युद्ध का विरोध करते हैं.उन्होंने बताया कि 22 अक्टूबर को, रूसी अभियोजक जनरल के कार्यालय ने सर्वोच्च न्यायालय से, दिवंगत विपक्षी नेता एलेक्सी नवलनी के भ्रष्टाचार-विरोधी संस्थान को "आतंकवादी संगठन" घोषित करने की मांग की थी.यूएन विशेषज्ञ की रिपोर्ट में कहा गया है कि युद्ध-विरोधी अभिव्यक्ति, स्वतंत्र रिपोर्टिंग और नवलनी से जुड़े लोगों पर मुक़दमा चलाने के लिए, "अतिवाद" के प्रावधानों का इस्तेमाल किया गया है, जिनका अन्तरराष्ट्रीय क़ानून में कोई प्रावधान नहीं है."अतिवादी" का ठप्पा, धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों, आदिवासियों और एलजीबीटी व्यक्तियों पर भी लागू किया गया है. कथित "अतिवाद" के लिए सैकड़ों लोगों को दोषी ठहराया गया है, जिनमें एलजीबीटी गतिविधियों को लक्षित करने वाले 100 से ज़्यादा मामले शामिल हैं.यूक्रेनी लोगों का उत्पीड़नसंयुक्त राष्ट्र की स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ मारियाना कात्ज़ारोवा की यह रिपोर्ट, रूसी नियंत्रण में हिरासत में लिए गए यूक्रेनी युद्धबन्दियों और नागरिकों पर, व्यापक और व्यवस्थित अत्याचार और दुर्व्यवहार का रिकॉर्ड प्रस्तुत करती है.मुक़दमों का सामना कर रहे अधिकांश यूक्रेनी बन्दियों पर जासूसी और आतंकवाद का आरोप है, जिसके कारण उन्हें लम्बी जेल की सज़ा हुई है.मारियाना कात्ज़ारोवा ने कहा, "यूक्रेनी बन्दियों को भूखा रखा गया, चिकित्सा देखभाल से वंचित रखा गया और उन्हें दी जाने वाली यातनाओं में बलात्कार व बिजली के झटके शामिल हैं."मानवाधिकार विशेषज्ञ ने यह भी बताया कि उन्होंने यातना दिए जाने में चिकित्सा पेशेवरों की भागेदारी के विश्वसनीय सबूत एकत्र किए हैं.विशेषज्ञ ने कहा, "रूस में भेजे गए हज़ारों यूक्रेनी नागरिक अब भी लापता हैं, उनके जीवित होने या नहीं होने व पते - ठिकाने के बारे में कोई जानकारी नहीं है."मारियाना कात्ज़ारोवा ने रूस में राजनैतिक रूप से प्रेरित आधार पर हिरासत में लिए गए सभी लोगों की तत्काल रिहाई और यूक्रेनी नागरिक बन्दियों की तत्काल रिहाई का आहवान किया.'खुली दंडमुक्ति'स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ ने, हिरासत में यातना और मौतों के लिए जवाबदेही की मांग की, और असहमति व युद्ध-विरोधी अभिव्यक्ति को दबाने के लिए, रूस द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक सुरक्षा क़ानूनों के दुरुपयोग को रोकने की मांग की है.विशेषज्ञ ने कहा, "रूस के अन्दर न्याय हासिल किया जाना कठिन है; अपराधियों को पूरी तरह से दंडमुक्ति प्राप्त है. जिन मामलों में देश के भीतर न्याय प्राप्त नहीं होता है, उनमें अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को, जवाबदेही सुनिश्चित करने और जोखिम में पड़े लोगों की रक्षा के लिए, सार्वभौमिक अधिकार क्षेत्र के ढाँचे के माध्यम से भी, कार्रवाई करनी चाहिए."संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार परिषद की विशेष प्रक्रिया शासनादेश के तहत नियुक्त विशेष रैपोर्टेयर और अन्य मानवाधिकार विशेषज्ञ, संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारी नहीं होते हैं और किसी भी सरकार या संगठन से स्वतंत्र होते हैं. उन्हें संयुक्त राष्ट्र से, अपने काम के लिए कोई वेतन नहीं मिलता है.

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