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क्यूबा पर अमेरिकी प्रतिबन्ध समाप्त करने के लिए लगातार 33वीं बार मांग

 - World News in Hindi

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने बुधवार को एक प्रस्ताव पारित करके, क्यूबा पर दशकों से चले आ रहे अमेरिकी प्रतिबन्ध को समाप्त करने का आहवान किया है. यूएन महासभा ने लगातार 33वीं बार इस तरह का प्रस्ताव पारित किया है. संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों के भारी बहुमत ने एक बार फिर, संयुक्त राज्य अमेरिका से क्यूबा पर लगे प्रतिबन्ध को हटाने का आग्रह किया, हालाँकि कुछ देशों ने या तो इससे दूर रहने या अमेरिका का साथ देने का विकल्प चुना है.‘क्यूबा पर संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा लगाए गए आर्थिक, वाणिज्यिक और वित्तीय प्रतिबन्ध को समाप्त करने की आवश्यकता’ शीर्षक वाले इस प्रस्ताव के पक्ष में 165 पड़े. सात देशों ने इस प्रस्ताव के विरोध में मत दिया, जबकि बारह देशों ने मतदान में शिरकत नहीं की. Tweet URL

पिछले वर्ष (2024) में इसी तरह का प्रस्ताव 187 मतों से पारित हुआ था, जिसमें दो मत (अमेरिका और इसराइल) विरोध में पड़े थे और केवल एक मत (मॉल्दोवा) अनुपस्थित था.इस वर्ष के प्रस्ताव के विरुद्ध मतदान करने वाले देशों में अमेरिका, इसराइल, अर्जेंटीना, हंगरी, पैराग्वे, उत्तरी मैसीडोनिया और यूक्रेन शामिल थे.बारह देश - अल्बानिया, बोसनिया और हरज़ेगोविना, कोस्टारीका, चेचिया, इक्वाडोर, एस्तोनिया, लातविया, लिथुआनिया, मोरक्को, पोलैंड, मॉल्दोवा और रोमानिया, मतदान से अनुपस्थित रहे.यूक्रेन पर रूसी आक्रमण का मुद्दापोलैंड ने, चेचिया, एस्तोनिया, लातविया और लिथुआनिया की ओर से भी बोलते हुए, मतदान से अनुपस्थित रहने के अपने निर्णय की व्याख्या करते हुए कहा कि यह "संयुक्त राष्ट्र चार्टर के चयनात्मक अनुप्रयोग" को दर्शाता है.पोलैंड के प्रतिनिधि यूक्रेन पर रूस के व्यापक व निरन्तर आक्रमण के बीच, क्यूबा द्वारा रूस को निरन्तर समर्थन का हवाला दिया, जहाँ क्यूबा के नागरिक कथित तौर पर रूस की ओर से लड़ रहे हैं.रोमानिया ने भी इन चिन्ताओं को दोहराया और कहा कि हालाँकि वह लम्बे समय से इस प्रस्ताव का समर्थन करता रहा है, "एक अवैध आक्रामक युद्ध में विदेशी भागेदारी, यूएन चार्टर और अन्तरराष्ट्रीय क़ानून का घोर उल्लंघन है."रोमानिया ने, क्यूबा से, यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के लिए समर्थन वापस लेने का आहवान किया.हालाँकि यह प्रस्ताव अब भी अबाध्यकारी है, लेकिन इसका पारित होना एक बार फिर, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा क्षेत्रीय प्रभाव वाले एकतरफ़ा दमनकारी उपायों की अस्वीकृति का संकेत देता है.क्या है प्रस्तावइस प्रस्ताव में, यूएन महासभा की सभी देशों से, 1996 के हेल्म्स-बर्टन अधिनियम जैसे दंडात्मक अमेरिकी क़ानूनों को अस्वीकार करने की दीर्घकालिक अपील दोहराई गई है.इस अधिनियम के बारे में क्यूबा और अन्य देशों का तर्क है कि यह अन्तरराष्ट्रीय क़ानून और यूएन चार्टर का उल्लंघन करता है.यूएन महासभा ने, इस प्रस्ताव के माध्यम से, क्यूबा पर प्रतिबन्ध के पाठ को, अगले वर्ष (2026) के सत्र के अनन्तिम एजेंडे में एक बार फिर शामिल करने का निर्णय लिया.

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