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सूडान संकट पर सुरक्षा परिषद की बैठक, 'अल फ़शर एक गहरे अंधकारमय नर्क में दाख़िल'

 - World News in Hindi

सूडान का अल फ़शर शहर पहले से ही विनाशकारी स्तर पर मानव पीड़ा से जूझ रहा था लेकिन पिछले कुछ दिनों के घटनाक्रम ने इसे और अंधकारमय रसातल में पहुँचा दिया है. आपात राहत मामलों के लिए यूएन प्रमुख टॉम फ़्लैचर ने गुरूवार को सुरक्षा परिषद की आपात बैठक के दौरान, अल फ़शर पर अर्द्धसैनिक बल (RSF) के क़ब्ज़े के बाद वहाँ भयावह ढंग से सामूहिक अत्याचारों को अंजाम दिए जाने की घटनाओं की निन्दा की है. पिछले 500 दिनों से अधिक समय से घेराबन्दी में फँसे आम नागरिक भुखमरी, सामूहिक विस्थापन का सामना कर रहे हैं और अस्पतालों, स्कूलों व विस्थापन केन्द्रों पर हमले हो रहे हैं. बड़ी संख्या में आम लोग हिंसा से बचने के लिए घर छोड़कर भागने के लिए मजबूर हुए हैं. आपात राहत मामलों के लिए यूएन अवर महासचिव टॉम फ़्लैचर ने सऊदी प्रसूति अस्पताल में भयावह ढंग से क़रीब 500 लोगों को जान से मार दिए जाने की घटना पर गहरा क्षोभ व्यक्त किया.उन्होंने गुरूवार को सुरक्षा परिषद की बैठक के दौरान सदस्य देशों के प्रतिनिधियों को कहा कि हज़ारों लोग अपनी जान बचाने के लिए लगभग 50 किलोमीटर दूर स्थित शहर तवीला भाग गए हैं. इनमें अधिकाँश महिलाएँ व बच्चे हैं और उन्हें फ़िरौती वसूले जाने, हिंसा का शिकार होने या अगवा कर लिए जाने का जोखिम है. विशाल चुनौतियों के बीच, ज़रूरतमन्द आबादी तक मानवीय राहत पहुँचाने के प्रयास किए जा रहे हैं. सूडान में व्याप्त संकट के दौरान अब तक 1.35 करोड़ लोगों को सहायता मुहैया कराई गई है.परस्पर विरोधी सैन्य बलों, सूडान की सशस्त्र सेना और अर्द्धसैनिक बल (RSF) के बीच अप्रैल 2023 में भड़के हिंसक टकराव से 2.4 करोड़ लोग, यानि देश की क़रीब 40 फ़ीसदी आबादी एक गहरे भूख संकट से जूझ रही है.लगभग सवा करोड़ लोग विस्थापित होने के लिए मजबूर हैं. सूडान का संकट दुनिया के सबसे गम्भीर संकटों में से एक माना जाता है. अल फ़शर इस लड़ाई का एक प्रमुख केन्द्र है जिस पर नियंत्रण हासिल करने के लिए RSF लड़ाकों ने पिछले क़रीब डेढ़ साल से इसकी घेराबन्दी की हुई थी और अब शहर पर नियंत्रण होने के बाद सामूहिक अत्याचारों की भयावह जानकारी मिल रही है.अवर महासचिव फ़्लैचर ने बताया कि आम लोगों के पास भरपेट भोजन नहीं है, और वर्तमान परिस्थितियों में वे घर-परिवार ज़्यादा प्रभावित हैं, जिनकी ज़िम्मेदारी महिलाओं के पास है.संयुक्त राष्ट्र ने दारफ़ूर और कोर्दोफ़ान में राहत प्रयासों के लिए दो करोड़ डॉलर की धनराशि जारी करने की घोषणा की है.उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद को तीन क्षेत्रों में क़दम उठाने होंगे: अत्याचारों का अन्त करना होगा और दोषियों की जवाबदेही तय की जानी होगी. सहायता अभियान के लिए पूर्ण रूप से मानवतावादी मार्ग मुहैया कराया जाना होगा. साथ ही, सूडान के लिए मानवीय अपील को वित्तीय समर्थन देना होगा, जिसमें फ़िलहाल 25 फ़ीसदी धनराशि ही हासिल हो पाई है. ‘कोई भी सुरक्षित नहीं’अफ़्रीका क्षेत्र के लिए यूएन में राजनैतिक एवं शान्तिनिर्माण मामलों की सहायक महासचिव अक्या पॉबी ने बताया कि आम नागरिकों की रक्षा करने के संकल्पों के बावजूद, सच्चाई यह है कि अल फ़शर में कोई भी सुरक्षित नहीं है.उनके अनुसार, 500 दिनों से अधिक समय की घेराबन्दी के बाद नॉर्थ दारफ़ूर में अल फ़शर पर RSF का नियंत्रण, सुरक्षा परिदृश्य में एक बड़ा बदलाव है.सूडान के कोर्दोफ़ान क्षेत्र में भी लड़ाई तेज़ हो गई है, जोकि अब युद्धरत पक्षों के बीच हिंसक टकराव का अगला मोर्चा बन रहा है. देश के अन्य प्रान्तों में भी ड्रोन हमले किए जा रहे हैं, और यह दर्शाता है कि लड़ाई का दायरा अब फैल रहा है.यूएन सहायक महासचिव अक्या पॉबी ने कहा कि इसकी एक गहरी मानवीय क़ीमत चुकानी पड़ी है. जातीयता के आधार पर लोगों को निशाना बनाया गया, बड़े पैमाने पर यौन हिंसा, सामूहिक हत्याओं को अंजाम दिया गया है.उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि सभी पक्षों को वार्ता की मेज़ पर पूरे मनोयोग के साथ वापिस लौटने की आवश्यकता है. यही एक रास्ता है, जिससे सूडान को बिखराव से रोका जा सकता है.साथ ही, सदस्य देशों से अपील की है कि उन्हें अपने प्रभाव का इस्तेमाल करना होगा, ताकि युद्धरत पक्षों को यह क़दम उठाने के लिए राज़ी किया जा सके.

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