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संक्षिप्त: योरोप में विदेश प्रशिक्षित चिकित्साकर्मियों पर बढ़ती निर्भरता, नवाचार में स्विट्ज़रलैंड शीर्ष पर

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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बुधवार को चेतावनी जारी की है कि दक्षिणी और पूर्वी योरोपीय देशों में बड़ी संख्या में डॉक्टर और नर्स, काम करने के लिए अन्य देशों का रुख़ कर रहे हैं, जिससे उनके मूल देशों में स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव बढ़ रहा है. वहीं, विश्व बौद्धिक सम्पदा संगठन की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, नवाचार के क्षेत्र में स्विट्ज़रलैंड दुनिया भर में पहले स्थान पर है. यूएन स्वास्थ्य एजेंसी की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, 2023 के दौरान, योरोप में कार्यरत हर 10 में से छह चिकित्साकर्मी की ट्रेनिंग, इस क्षेत्र से बाहर हुई थी. नर्स के मामलों में यह संख्या इससे भी अधिक है.इस रिपोर्ट में अल्बानिया, आर्मिनिया, जॉर्जिया, आयरलैंड, मॉल्टा, नॉर्वे, मोल्दोवा गणराज्य, रोमानिया और ताजिकिस्तान का अध्ययन किया गया है.2014 से 2023 के दौरान, योरोपीय क्षेत्र में काम कर रहे विदेश प्रशिक्षित डॉक्टर की संख्या में 58 प्रतिशत और नर्स की संख्या में 67 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई.इसी अवधि में, स्वास्थ्य श्रम बाज़ार में प्रवेश करने वाले चिकित्सकों की वार्षिक संख्या में लगभग तीन गुना बढ़ोत्तरी हुई. नर्स के आँकड़े में क़रीब पाँच गुना की वृद्धि देखी गई. इनमें से अधिकाँश स्वास्थ्यकर्मियों को योरोप के बाहर प्रशिक्षण मिला था.योरोपीय क्षेत्र के लिए WHO में स्वास्थ्य नीतियों की निदेशक डॉक्टर नताशा ऐज़ोपार्डी-मस्कट ने बताया कि यह केवल संख्या से जुड़ी बात नहीं है. हर प्रवासी डॉक्टर या नर्स के साथ महत्वाकाँक्षा और अवसर की कहानी जुड़ी है. मगर यह उनके देश छोड़कर जाने से परिवारों और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणालियों पर होने वाले दबाव से भी सम्बन्धित है.“योरोप में आपस में गुंथे हुए श्रम बाज़ार में स्वास्थ्यकर्मियों का प्रवासन, एक वास्तविकता है, और इसकी देखरेख निष्पक्ष व सतत ढंग से की जानी होगी.”स्वास्थ्य प्रणाली पर दबावमगर, चिकित्साकर्मियों की आवाजाही में हुई वृद्धि से नई चुनौतियाँ भी उपजी हैं. कुछ देशों में, विशेष रूप से पूर्वी व दक्षिणी योरोपी देशों में बड़ी संख्या में डॉक्टर व नर्स पड़ोसी देशों का रुख़ कर रहे हैं, जिससे वहाँ पहले से ही क़िल्लत की स्थिति और ख़राब हो रही है, और भविष्य के लिए प्रश्न खड़े हो रहे हैं.वहीं, पश्चिमी और उत्तरी योरोपीय देश, अब विदेशों में प्रशिक्षण पाए हुए चिकित्साकर्मियों पर निर्भर होते जा रहे हैं. उदाहरणस्वरूप, आयरलैंड में 50 फ़ीसदी से अधिक नर्स और 43 प्रतिशत डॉक्टर, विदेश में प्रशिक्षित हैं.एक अनुमान के अनुसार, योरोपीय क्षेत्र में 2030 तक 9.50 लाख स्वास्थ्यकर्मियों की कमी होने की आशंका है. इसके मद्देनज़र, यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने ज़ोर देकर कहा है कि चिकित्साकर्मियों को बाहर जाने से रोकने के लिए मज़बूत नीतियाँ लागू की जानी होंगी और कार्यबल तैयार करने के लिए बेहतर योजना भी.जिन देशों से प्रशिक्षण हासिल करके डॉक्टर व नर्स, अन्य देशों का रुख़ कर रहे हैं, और जो देश विदेशी स्वास्थ्यकर्मियों पर निर्भर हो रहे हैं, वहाँ स्वास्थ्य सेवाओं की निरन्तरता सुनिश्चित करने के लिए यह अहम है.इस क्रम में, रोमानिया का उदाहरण दिया गया है, जहाँ पिछले कुछ वर्षों में देश छोड़कर जाने वाले डॉक्टर की संख्या 1,500 से 461 हो गई है. इसकी वजह बेहतर वेतन, प्रशिक्षण और कामकाजी परिस्थितियाँ बताई गई है. © Unsplash/Lukas जापान के क्योटो शहर में एक शॉपिंग मॉल में तैनात एक रोबोट. नवाचार इंडेक्स में स्विट्ज़रलैंड प्रथम पायदान पर, चीन भी शीर्ष 10 देशों मेंस्विट्ज़रलैंड (1), स्वीडन (2), संयुक्त राज्य अमेरिका (3), कोरिया गणराज्य (4) और सिंगापुर (5), विश्व में नवाचार के क्षेत्र में अग्रणी देशों में हैं.विश्व बौद्धिक सम्पदा संगठन (WIPO) की नई रिपोर्ट में यह निष्कर्ष साझा किया गया है. उनके अलावा, ब्रिटेन (6), फ़िनलैंड (7), नैदरलैंड्स (8), डेनमार्क (9) और चीन (10) भी इस सूची में शीर्ष 10 देशों में हैं.चीन ने पहली बार टॉप 10 देशों में अपनी जगह बनाई है. WIPO अध्ययन के अनुसार, भारत (38) तुर्कीये (43), वियत नाम (44), फ़िलिपींस (50), इंडोनेशिया (55) समेत अन्य देश निरन्तर इस सूची में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं.अध्ययन बताता है कि मध्य व दक्षिणी एशिया में, निम्नतर मध्य-आय वाले देशों के समूह में भारत का प्रदर्शन बेहतर हो रहा है. सूचना संचार प्रौद्योगिकी निर्यात, स्टार्ट अप कम्पनियों के लिए वित्त पोषण और टैक्नॉलॉजी से हो रही आर्थिक प्रगति इसे बढ़ावा दे रही है.रिपोर्ट तैयार करने के लिए 80 संकेतकों का सहारा लिया गया, जिनमें शोध एवं विकास पर होने वाले व्यय, वेंचर कैपिटेल समझौतों, उच्च-टैक्नॉलॉजी निर्यात, बौद्धिक सम्पदा आवेदन शामिल थे.हालांकि, WIPO के अनुसार, नवाचार के लिए होने वाले निवेश में सुस्ती हो रही है और इस वजह से बौद्धिक सम्पदा के क्षेत्र में भावी रुझानों का अनुमान लगा पाना स्पष्ट नहीं है.

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