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ग़ाज़ा सिटी: इसराइली सैन्य कार्रवाई का बढ़ता दायरा, हर दिन बमबारी, विस्थापन से जूझते लोग

 - World News in Hindi

संयुक्त राष्ट्र मानवीय सहायताकर्मियों ने कहा है कि ग़ाज़ा सिटी में इसराइली सैन्य कार्रवाई में तेज़ी के बीच, क़रीब 10 लाख से अधिक फ़लस्तीनी वहाँ हर रोज़ बमबारी और विस्थापन से जूझ रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने गुरूवार को न्यूयॉर्क में पत्रकारों को जानकारी देते हुए कहा कि एक बड़ी आबादी फिर से जबरन विस्थापित हो रही है. इसराइल ने पूरी ग़ाज़ा सिटी में लोगों को जगह छोड़कर जाने का आदेश दिया है.मानवीय सहायता संगठनों के अनुसार, रविवार से अब तक 25 हज़ार से अधिक विस्थापन मामले सामने आ चुके हैं. Tweet URL

कुछ अति-आवश्यक सेवाओं को स्थगित किया जा चुका है और कुछ मानवीय सहायता केन्द्रों को गम्भीर क्षति पहुँची है, जिससे उनके कामकाज में व्यवधान आया है.यूएन प्रवक्ता ने बताया कि साझेदार संगठनों के अनुसार, प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल केन्द्रों पर गतिविधियाँ रोकने के लिए मजबूर होना पड़ा है, जबकि पोषण सेवाओं से जुड़े संगठनों का कामकाज भी प्रभावित हुआ है.ग़ाज़ा सिटी में हवाई हमलों की वजह से 49 में से 12 उपचार केन्द्रों पर पोषण सेवाओं को रोकना पड़ा है. कम से कम दो सामुदायिक किचन में भी अवरोध आया है और तीन अन्य को दूसरे स्थान पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा है.शिक्षा सेवाओं से जुड़े यूएन के साझेदार संगठनों ने चिन्ता जताई है कि उत्तरी ग़ाज़ा में 95 अस्थाई शिक्षा केन्द्रों के बन्द हो जाने का जोखिम है, जहाँ 25 हज़ार से अधिक बच्चों की पढ़ाई-लिखाई हो रही है. इसकी वजह विस्थापन आदेश और असुरक्षा बताई गई है.कुपोषण की चिन्ताजनक स्थितिसंयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने चेतावनी दी है कि ग़ाज़ा में बाल कुपोषण की स्थिति ख़तरनाक दर से लगातार बिगड़ रही है.इस वर्ष, जुलाई में जहाँ 8.3 प्रतिशत बच्चों में गहन कुपोषण के मामले सामने आए, अगस्त में यह संख्या बढ़कर 13.5 प्रतिशत हो गई.स्तेफ़ान दुजैरिक ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र अपने साझेदारों के साथ मिलकर, आवश्यक पोषण सामग्री को ग़ाज़ा में लाने और उसे लगभग 140 केन्द्रों पर वितरित करने के लिए प्रयासरत है.सहायता प्रयासों में अवरोधइस बीच, ग़ाज़ा में मानवीय सहायता पहुँचाने के लिए आवाजाही में अवरोध हैं और राहत प्रयासों में देरी हो रही है.इसराइली प्रशासन द्वारा अनुमति मिलने के बावजूद, कई सहायता मिशनों को घंटों की देरी का सामना करना पड़ रहा है. राहत टीम के पास सड़कों पर प्रतीक्षा करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है, जोकि उनके लिए ख़तरनाक साबित हो सकता है.यूएन मानवतावादी कार्यालय के अनुसार, यूएन मिशन में फ़लस्तीनी कर्मचारियों के शामिल होने की स्थिति में उन्हें अनुमति न मिलने के मामले बढ़ रहे हैं. अक्सर इन अनुरोधों को अन्तिम क्षणों में नकारा जाता है, जिससे किसी विकल्प की तलाश करना मुश्किल हो जाता है.

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