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सूडान: हिंसक टकराव की पीड़ा भुगतते बच्चे, स्कूली पढ़ाई बनी अधूरा सपना

 - World News in Hindi

युद्धग्रस्त सूडान में मानवीय सहायता में जुटी यूएन एजेंसियों ने शुक्रवार को जारी अपने एक ऐलर्ट में आगाह किया है कि परस्पर विरोधी सैन्य बलों के बीच टकराव जितना लम्बा खिंचेगा, बच्चों पर उसका उतना ही गहरा असर पड़ेगा. सूडान पर नियंत्रण के लिए देश की सशस्त्र सेना और अर्द्धसैनिक बल (RSF) के बीच अप्रैल 2023 में भड़के गृहयुद्ध को दो साल से ज़्यादा बीत चुके हैं, जिसके कारण 2.5 करोड़ से अधिक लोग गम्भीर भुखमरी से जूझ रहे हैं और कम से कम दो करोड़ लोगों को तत्काल स्वास्थ्य सेवाओं की ज़रूरत है.संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने भी चेतावनी दी है कि कुछ इलाक़ों में विस्थापित परिवारों को पिछले तीन महीनों से कोई सहायता नहीं मिली है. धन की भारी कमी के कारण संगठन को पहली बार उन इलाक़ों में मदद रोकनी पड़ी है, जहाँ राहत पहुँचा पाना सम्भव नहीं है. Tweet URL

WFP की लेनी किन्ज़ली ने तत्काल अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय सहायता बढ़ाने की अपील की है. उन्होंने कहा कि सूडान में ज़रूरतें इतने व्यापक स्तर पर हैं कि हमें कठिन फ़ैसले लेने पड़ रहे हैं कि किसे सहायता मिलेगी और किसे नहीं. यह बेहद दर्दनाक निर्णय हैं.मानवीय एजेंसियों ने ध्यान दिलाया कि बच्चे सबसे ज़्यादा असुरक्षित हैं, और कुपोषण मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं, ख़ासतौर पर छोटे बच्चों और उनकी माताओं में.शिक्षा पर असरयौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य के लिए संयुक्त राष्ट्र एजेंसी (UNFPA) और शिक्षा क्षेत्र में काम कर रहे साझीदारों के अनुसार, सूडान में रह रहे 1.7 करोड़ बच्चों में से लगभग 1.3 करोड़ अब स्कूल से बाहर हैं. इनमें 70 लाख ऐसे बच्चे शामिल हैं जिनके नाम तो दर्ज हैं, लेकिन युद्ध और विस्थापन के कारण कक्षाओं में नहीं जा पा रहे, और 60 लाख ऐसे हैं जिन्होंने इस शैक्षिक वर्ष में स्कूल में दाख़िला ही नहीं लिया.हालाँकि, UNFPA ने बताया कि इस महीने तक सूडान में 45 प्रतिशत स्कूल फिर से खुल चुके हैं.टूटे जीवन को सम्भालने की कोशिशनवम्बर 2024 से इस साल जुलाई तक, सूडान में 1,600 से अधिक स्थानों पर 20 लाख से अधिक लोग अपने पुराने घरों को लौटे हैं. इनमें से सबसे ज़्यादा वापसी अज जज़ीरा (48 प्रतिशत) और ख़ारतूम (30 प्रतिशत) में हुई है. वहीं, केवल लगभग 1 प्रतिशत लोग रिवर नाइल और पश्चिम दारफ़ूर लौटे हैं.अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) के आँकड़ों के अनुसार, लगभग 77 प्रतिशत (करीब 15 लाख) लोगों ने अस्थाई आश्रय स्थलों से घर वापसी की है, जबकि 23 प्रतिशत (लगभग 4.55 लाख) पड़ोसी देशों से वापस आए हैं.हालाँकि, यह संख्या उन 42 लाख से अधिक शरणार्थियों का केवल एक हिस्सा है, जो 15 अप्रैल 2023 को सूडान की सेना (SAF) और अर्द्धसैनिक बल (RSF) के बीच युद्ध छिड़ने के बाद पड़ोसी देशों में पलायन कर गए थे.

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