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ग़ाज़ा: अन्तराष्ट्रीय समुदाय को अब 'कथनी को करनी' में बदलना होगा, OCHA

 - World News in Hindi

लगभग दो वर्षों के भीषण युद्ध से त्रस्त ग़ाज़ा पट्टी में, अब जो कुछ बचा नज़र आता है वो केवल कुछ उम्मीद, मगर वह भी लोगों को जीवित रखने के लिए यह पर्याप्त नहीं है. संयुक्त राष्ट्र की एक वरिष्ठ मानवीय सहायताकर्मी ओल्गा चेरेवको ने युद्ध को समाप्त करने और रक्तपात रोकने के लिए और अधिक कार्रवाई किए जाने का आहवान किया है. संयुक्त राष्ट्र के आपदा राहत समन्वय कार्यालय (OCHA) की ग़ाज़ा में प्रवक्ता ओल्गा चेरेवको ने शुक्रवार को आगाह किया कि इतिहास अन्तरराष्ट्रीय समुदाय का मूल्यांकन "हमारे भाषणों के आधार पर" नहीं, बल्कि कार्रवाइयों के आधार पर करेगा.उन्होंने ग़ाज़ा पट्टी के डेयर अल-बलाह से, न्यूयॉर्क में नियमित प्रैस वार्ता को सम्बोधित करते हुए स्पष्ट शब्दों में कहा: "जब ग़ाज़ा जल रहा था, बच्चे भूखे मर रहे थे, और अस्पताल ढह रहे थे - क्या आपने कोई कार्रवाई की?"ग़ाज़ा शहर को मौत का फ़रमानओल्गा चेरेवको ने कहा कि गत मंगलवार को, ग़ाज़ा शहर को "मौत की सज़ा" सुनाई गई, जिसमें लाखों पीड़ित नागरिकों को पहले से ही भीड़भाड़ वाले इलाक़े में भागने का आदेश दिया गया, जहाँ "छोटे जानवरों को भी घूमने के लिए जगह ढूँढनी पड़ती है."पूरे ग़ाज़ा पट्टी में, स्थिति गम्भीर है. गुरूवार को एक मित्र ने उन्हें सन्देश भेजकर बताया कि उन्होंने दक्षिणी इलाक़े में जगह तलाश कनरे की कोशिश की, लेकिन कोई जगह नहीं मिली."पिछले सप्ताह उनके आठ साल के चचेरे भाई की, कई अन्य बच्चों के साथ, रोटी पकने का इन्तेज़ार करते हुए, एक इसराइली हमले में तत्काल मौत हो गई."उन्होंने आगे कहा कि मित्र की बेटी ने हाल ही में दो साल की उम्र पूरी की है और उसने युद्ध के अलावा कुछ और देखा ही नहीं है. बेबसी, मृत्यु और विनाशओल्गा चेरेवको ने कहा "मृत्यु की स्पष्ट गन्ध हर जगह फैली है – यह स्थिति एक भयावह याद दिलाती है कि सड़कों पर बिखरे खंडहरों में, माताओं, पिताओं और बच्चों के अवशेषों छिपे हुए हैं.""वे इंसान जो कभी हँसते थे, रोते थे, सपने देखते थे. युद्ध की हत्या मशीनों ने उनके जीवन को छोटा कर दिया है. उनमें से बहुत से लोग, कई अब कभी नहीं मिलेंगे."उन्होंने कहा कि गुरूवार को जब मानवीय सहायताकर्मी, ग़ाज़ा वापिस पहुँचे, तो व्यथित लोग उनके क़ाफ़िले के चारों ओर इकट्ठा हो गए और "इस भयावहता को रोकने की विनती" करने लगे."किसी प्रियजन की हर हत्या, नागरिक जीवनरेखा पर हर हमले और हर पहुँच से वंचित होने के साथ, इन लोगों की गरिमा और आशा छिन गई है."ओल्गा चेरेवको ने कहा कि "समय के विरुद्ध, मृत्यु के विरुद्ध, अकाल के प्रसार के विरुद्ध दौड़ -ऐसा लगता है जैसे हम मानवीय सहायताकर्मी, दलदल में दौड़ रहे हैं. और भी अधिक इसलिए क्योंकि इसराइली अधिकारी, मानवीय सहायता क़ाफ़िलों को अक्सर अस्वीकार करते हैं, उन्हें बहुत देर तक रोके रखते हैं या बाधित करते हैं."इनसानियत जीवित हैउन्होंने कहा कि कठिनाइयों के बीच भी "मानवता अपनी चमक बनाए हुए है.”उन्होंने फ़लस्तीनी डॉक्टरों, नर्सों और अन्य चिकित्साकर्मियों की ओर इशारा करते हुए कहा को वे, चौबीसों घंटे काम करते हैं, अक्सर बिना वेतन, दवा या बिजली के."इसमें संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, रैड क्रैसेंट और अन्य संगठनों के सहायता कर्मी भी शामिल हैं जो "आग के बीच भोजन, दवा और स्वच्छ पानी पहुँचाते हैं", साथ ही वे आम लोग भी शामिल हैं जो अपने पास जो कुछ भी चीज़ें बची हैं, उन्हें अजनबियों के साथ साझा करते हैं.उन्होंने कहा, "देखभाल के हर कार्य में - क्रूरता को, भविष्य को परिभाषित करने का मौक़ा नहीं देना. यह इस बात का प्रमाण है कि सबसे कठिन समय में भी, मानवीय भावना क़ायम रहती है."आशा की किरण और कार्रवाई का सहाराओल्गा चेरेवको ने बताया कि उनसे अक्सर पूछा जाता है कि क्या उनमें कोई आशा बची है. "शायद बस आशा ही हमारे पास बची है, इसलिए हमें उसे सहेजे रखना होगा. लेकिन सिर्फ़ आशा ही लोगों को जीवित नहीं रखेगी. ऐसे तत्काल फ़ैसले लेने ज़रूरी हैं जो स्थाई शान्ति का मार्ग प्रशस्त करें, इससे पहले कि बहुत देर हो जाए.”उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि "गाज़ा के लोग दान नहीं माँग रहे हैं. वे सुरक्षा, सम्मान और शान्ति से जीने का अपना अधिकार माँग कर रहे हैं.""हमारी - आपकी, मेरी, हम सबकी मानवता - माँग करती है कि हम अभी कार्रवाई करें."उन्होंने अपनी बात यह ज़ोर देकर समाप्त की कि "आज, और हर दिन, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के लिए कथनी और करनी में तालमेल बिठाने का एक नया मौक़ा है. इसे हाथ से नहीं जाने दें, क्योंकि हो सकता है कि यह आख़िरी मौक़ा हो."

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