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“हमें बन्दूकों को शान्त करना और कूटनीति का सहारा लेना होगा," एंतोनियो गुटेरेश

 - World News in Hindi

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने एक "बिखरी हुई दुनिया" में शान्ति के लिए अधिक प्रयासों की अपील की है, जहाँ युद्ध लगातार बढ़ रहे हैं. उन्होंने यह सन्देश 21 सितम्बर को मनाए जाने वाले अन्तरराष्ट्रीय शान्ति दिवस के अवसर पर, शुक्रवार को न्यूयॉर्क स्थित यूएन मुख्यालय में वार्षिक समारोह के दौरान शान्ति की घंटी बजाकर दिया. इस वर्ष के इस दिवस का विषय है: “अभी क़दम उठाएँ, एक शान्तिपूर्ण दुनिया के लिए.” यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि शान्ति की राह पर चलना ही संगठन का "धड़कता हुआ हृदय" है, लेकिन आज परिदृश्य बदल चुका है, “शान्ति ख़तरे में है. युद्ध बढ़ते जा रहे हैं. आम लोग पीड़ा झेल रहे हैं. मानवाधिकार और अन्तरराष्ट्रीय क़ानून रौंदे जा रहे हैं, और ऐसी छाप छोड़ रहे हैं जो हमारी साझा मानवता को कलंकित करते हैं.”महासचिव ने कहा, “... हम जानते हैं कि शान्ति संयोग से नहीं होती है. यह साहस, समझौते, और सबसे बढ़कर कार्रवाई से गढ़ी जाती है.”आज दुनिया के सामने विकल्प स्पष्ट है. Tweet URL

"हमें नागरिकों की रक्षा करने और संयुक्त राष्ट्र चार्टर को बनाए रखने के लिए कार्रवाई करनी होगी.” वे याद दिलाते हैं कि संघर्ष की जड़ों तक पहुँचना ज़रूरी है. “हमें कार्रवाई करनी होगी – असमानता और बहिष्करण से लेकर, नफ़रत फै़लाने वाली भाषा और जलवायु संकट तक..”यूएन महासचिव ने ज़ोर देकर कहा कि “हमें रोकथाम, संवाद और विश्वास में निवेश करने के लिए कार्रवाई करनी होगी. और हमें शान्ति निर्माता महिलाओं व युवाओं का समर्थन करने के लिए कार्रवाई करनी होगी, जो उम्मीद की अग्रिम पंक्ति में खड़े हैं.”यूएन की अहमियत पर ज़ोरसंयुक्त राष्ट्र महासभा की अध्यक्ष ऐनालेना बेयकबॉक ने इस अवसर पर अपने सम्बोधन में, वैश्विक स्तर पर बढ़ते युद्धों के बीच सवाल उठाया कि क्या संयुक्त राष्ट्र के बिना, दुनिया में युद्ध कम होंगे, और इसके उत्तर में उन्होंने स्पष्ट कहा, "निश्चित रूप से नहीं."उन्होंने कहा, “यह हार मानने का समय नहीं है, बल्कि यह और अधिक प्रयास करने का समय है.”शान्ति की राह...यूएन महासचिव ने कहा कि “शान्ति एक बेहतर भविष्य के लिए सबसे प्रबल शक्ति है. और यह हमारी पहुँच में है, यदि हम इसे चुनें...”उन्होंने कहा कि शान्ति की घंटी का यही सन्देश है, जिसे 1952 में दुनिया भर के लोगों द्वारा दान किए गए सिक्कों और पदकों से ढाला गया था, जो शान्ति की इच्छा में एकजुट थे.“यह शान्ति का घंटी हमें याद दिलाती है कि सबसे छोटा योगदान भी कुछ स्थाई गढ़ सकता है.“महासचिव ने सन्देश दिया कि “बिखरी हुई दुनिया में भी, हम एक साथ आकर शान्ति की गूँज फैला सकते हैं.”जापान की भेंटग़ौरतलब है कि यूएन जापान संघ ने, 8 जून 1954 को, जापानी शान्ति घंटी संयुक्त राष्ट्र को भेंट की थी. इस घंटी पर 8 जापानी अक्षर लिखे हैं, जिनका अर्थ है: “सम्पूर्ण विश्व शान्ति अमर रहे.”यह घंटी पारम्परिक लकड़ी से निर्मित शिंटो मन्दिर जैसी संरचना में लटकाकर रखी गई है.यह घंटी साल में दो बार बजाई जाती है, वसन्त ऋतु के पहले दिन, vernal equinox पर, और अन्तरराष्ट्रीय शान्ति दिवस की स्मृति में.

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