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ग़ाज़ा: सुरक्षित और सुचारू मदद के बिना, संकट हो सकता है और बदतर

 - World News in Hindi

संयुक्त राष्ट्र ने आगाह किया है कि ग़ाज़ा में अगर सहायता सामग्री के तत्काल और बिना किसी रोकटोक मुहैया नहीं कराई गई तो, पहले से ही गम्भीर मानवीय संकट और भी बदतर हो सकता है. संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने शुक्रवार को नियमित प्रैस वार्ता में, ज़ोर दिया कि मानवीय सहायता की आपूर्ति में लगातार हो रही देरी, ठहराव स्थलों पर अड़चनें और सीमा चौकियों पर वाहनों में सामान लादने की प्रक्रिया में व्यवधान, सहयाता सामग्री एकत्र करने और उसे ज़रूरतमन्द लोगों में वितरित करने के प्रयासों को कमज़ोर कर रहे हैं.प्रवक्ता ने कहा, "यह ज़रूरी है कि संयुक्त राष्ट्र और उसके मानवीय सहयोगी, समुदाय-आधारित व्यवस्था का उपयोग करके, बड़े पैमाने पर सहायता पहुँचा सकें, जिसमें बेहद कमज़ोर हालात वाले लोगों तक पहुँच भी शामिल हो."हालिया आँकड़े इस चुनौती के पैमाने को दर्शाते हैं. 27 मई से 8 अगस्त के बीच, रफ़ाह स्थित रैडक्रॉस अस्पताल ने साढ़े चार हज़ार से ज़्यादा घायलों का इलाज किया. उनमें स, अधिकतर लोगों ने खाद्य वितरण स्थलों तक पहुँचने की कोशिश करते समय, घायल होने की बात बताई.कुछ लोग, भगदड़ मचने में घायल हो गए या खाद्य सामग्री हासिल करने के तुरन्त बाद उसकी चोरी किए जाने या हिंसा के शिकार हो गए. © WHO बढ़ रही है मौतों की संख्याजिन 12 सहायता मिशनों को इसराइली अधिकारियों के साथ समन्वय की दरकार थी, उनमें से पाँच मिशनों को गुरूवार को बिना किसी बाधा के पूरा किया गया. चार मिशन आयोजकों द्वारा रद्द कर दिए गए, और तीन अन्य को बाधित किया गया.यूएन प्रवक्ता ने भुखमरी के संकट की तरफ़ भी ध्यान आकर्षित किया, जिसमें मौतों की संख्या बढ़ रही है, ख़ासकर बच्चों में.उन्होंने कहा कि अस्पताल कुपोषण के बढ़ते मामलों से निपटने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और कई चिकित्सा सुविधाओं में मरीज़ों के इलाज के लिए बिस्तरों की कमी हो गई है.ईंधन की भारी कमीप्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने कहा कि ऊर्जा की कमी संकट को और बढ़ा रही है. ग़ाज़ा के बाज़ारों में पाँच महीनों से भोजन पकाने वाली गैस उपलब्ध नहीं है, जबकि जलाऊ लकड़ी भी लोगों की पहुँच से बाहर होती जा रही है.उन्होंने आगे कहा, "ऐसे लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है जिन्हें भोजन पकाने के लिए वैकल्पिक ईंधन के रूप में कचरे और लकड़ी के टुकड़ों का उपयोग करना पड़ रहा है, जिससे स्वास्थ्य व सुरक्षा जोखिम और बढ़ जाते हैं, और पर्यावरणीय ख़तरे पैदा होते हैं."उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि अगर ग़ाज़ा शहर में सैन्य हमलों का दायरा बढ़ाया जाता है तो आम लोगों की सुरक्षा की जानी चाहिए.उन्होंने कहा, "सुरक्षा के लिए भाग रहे लोगों की सुरक्षा की जानी चाहिए, उनकी ज़रूरी ज़रूरतें पूरी होनी चाहिए, और जब स्थिति अनुकूल हो, तो उन्हें स्वेच्छा से वापस लौटने का अवसर मिलना चाहिए. और अगर वे रुकना चाहते हैं, तो उन्हें धमकाया नहीं जाना चाहिए या जोखिम में नहीं डाला जाना चाहिए."स्तेफ़ान दुजैरिक ने संयुक्त राष्ट्र के उस लंबे समय से चले आ रहे आहवा को भी दोहराया जिसमें ग़ाज़ा पट्टी में बन्धकों की तत्काल और बिना शर्त रिहाई की बात कही गई है.

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