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दक्षिण सूडान के लोगों को अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से है आस

 - World News in Hindi

अफ़्रीका क्षेत्र के लिए सहायक महासचिव मार्था पोबी ने सुरक्षा परिषद को, दक्षिण सूडान में ख़राब होती सुरक्षा और मानवीय स्थितियों के बारे में अवगत कराया है. उन्होंने बताया कि शान्ति प्रक्रिया में अतीत में हासिल की गई उपलब्धियाँ मार्च के बाद से काफ़ी हद तक कम हो गई हैं और देश के लोग हालात की बेहतरी के लिए अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से उम्मीदें लगाए हुए हैं. मार्था पोबी ने, महासचिव की हालिया तिमाही रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि मुख्य रूप से देश के दो प्रतिद्वंद्वी मिलिशिया गुटों के सैन्य हमले जारी हैं, और दोनों के बीच 2018 के शान्ति समझौते में विश्वास कम हुआ है.इनमें से एक गुट प्रथम उपराष्ट्रपति और और दूसरा गुट राष्ट्रपति के प्रति वफ़ादार सरकारी सैनिकों के प्रति जवाबदेह है.अनेक कठिनाइयाँमार्था पोबी ने ज़ोर देकर कहा कि हाल के सैन्य हमलों के परिणामस्वरूप लोगों की मौतें होने के साथ-साथ, बड़े पैमाने पर लोगों काविस्थापन और नागरिक बुनियादी ढाँचे का विनाश हुआ है.अन्तरराष्ट्रीय संकट समूह के एक वरिष्ठ पदाधिकारी मुरीथी मुटिगा ने कहा कि इसके अलावा, विस्थापन संकट दोतरफ़ा है: पड़ोसी देश सूडान में विनाशकारी गृहयुद्ध ने 12 लाख शरणार्थियों को दक्षिण सूडान में धकेल दिया है, जिससे देश में पहले से ही सीमित संसाधनों पर और दबाव बढ़ गया है.सूडान में युद्ध ने सैन्य सरकार द्वारा नियंत्रित पोर्ट-सूडान और व्यापक बाज़ार में तेल के प्रवाह को भी बाधित किया है, जिससेदक्षिण सूडान को अपने अधिकांश मूल्यवान तेल राजस्व का नुक़सान हुआ है.मुरीथी मुटिगा ने यह भी रेखांकित किया कि मौजूदा स्थिति, 2011 में स्वतंत्रता के बाद से, दक्षिण सूडान के सबसे बुरे मानवीय संकटों में से एक है, जिसमें 93 लाख लोगों को तत्काल सहायता की आवश्यकता है और 77 लाख लोग खाद्य असुरक्षा से जूझ रहे हैं. UN Photo/Eskinder Debebe इनमें 83 हज़ार लोग भयावह परिस्थितियों का सामना करने के जोखिम में हैं, जबकि क्रूर यौन हिंसा भी बढ़ रही है.मार्था पोबी ने ज़ोर देकर कहा कि धन में कटौती के कारण लाखों लोग जीवन रक्षक सहायता से वंचित हो रहे हैं.वर्ष 2025 के मध्य तक, मानवीय आवश्यकताएँ और सहायता योजना के लिए केवल 28.5 प्रतिशत ही धन हासिल हुआ है.इसके अलावा, सहायता कर्मियों पर हमले की बढ़ती घटनाओं के साथ, मानवीय सहायता तक पहुँच की चुनौतियाँ बढ़ रही हैं. साथ ही, ख़राब बुनियादी ढाँचा और प्रशासनिक बाधाएँ, राहत प्रयासों में बाधा डाल रहे हैं.युद्ध समाप्त करने की पुकारसंयुक्त राष्ट्र, अफ़्रीकी संघ, क्षेत्रीय अन्तर-सरकारी विकास निकाय – IGAD, और अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के कई अन्य संगठनों ने युद्ध समाप्त करने लिए बार-बार पुकार लगाई है और इसके लिए बातचीत की तरफ़ वापसी का भी आहवान किया है. हालाँकि, युद्धरत पक्षों की ओर से इस सम्बन्ध में कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं मिली है.मार्था पोबी ने कहा, "वैसे तो, सरकारी अधिकारियों ने दिसम्बर 2026 तक चुनाव कराने की अपनी प्रतिबद्धता सार्वजनिक रूप से व्यक्त की है, फिर भी पक्षों को बातचीत की ओर लौटने और देश को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक निर्णय लेने के लिए क़दम उठाने चाहिए. केवल प्रतिबद्धता की घोषणाएँ पर्याप्त नहीं हैं."उन्होंने सुरक्षा परिषद से, सभी पक्षों और हितधारकों से शान्ति समझौते को बनाए रखने का आहवान करने का आग्रह किया.अगर वे दिसम्बर 2026 में शान्तिपूर्ण और विश्वसनीय चुनावों की नींव रखने में विफल रहते हैं, तो बढ़ती क्षेत्रीय अस्थिरता के बीच, हिंसा फिर भड़कने का जोखिम बहुत बढ़ जाएगा.उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि ऐसी विफलता से बचने के लिए, दक्षिण सूडानी दलों के साथ मिलकर काम करना, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय की साझा ज़िम्मेदारी है. "दक्षिण सूडान के लोग हमसे आस लगाए हुए हैं."

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