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ग़ाज़ा: भुखमरी और विस्थापन का क़हर, 5 लाख लोग अकाल के निकट

 - World News in Hindi

ग़ाज़ा में मानवीय संकट लगातार गहराता जा रहा है. संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि वे आवश्यक जीवनरक्षक खाद्य सामग्री की आधे से भी कम मात्रा ही युद्धग्रस्त इलाके़ तक पहुँचा पा रही हैं. लगभग पाँच लाख लोग अकाल के कगार पर हैं और नवीनतम आँकड़े व्यापक कुपोषण को उजागर कर रहे हैं. विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने कहा है कि युद्धविराम ही वह एकमात्र रास्ता है जिससे सहायता वितरण को बड़े पैमाने पर बढ़ाया जा सकता है.फ़िलहाल, दैनिक खाद्य ज़रूरतें पूरी करने के लक्ष्य का, केवल 47 प्रतिशत हिस्सा ही पूरा हो पा रहा है. Tweet URL

इसके अलावा, सामूहिक खाद्य वितरण, गरम भोजन की आपूर्ति और सहायता प्राप्त बेकरी सेवाएँ भी लगातार जारी युद्ध के कारण बाधित हो गए हैं.लाखों बच्चे शिक्षा से वंचितफ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन राहत एवं कार्य एजेंसी (UNRWA) ने बताया कि ग़ाज़ा के बच्चे अब, नए शैक्षणिक सत्र के लिए तैयारियाँ करने के बजाय, पानी तलाश करने और भोजन के लिए क़तारों में खड़े रहने को विवश हैं, जबकि उनके स्कूल और कक्षाएँ भीड़भाड़ वाले शरणस्थलों में बदल गए हैं.UNRWA के अनुसार, बच्चों की तीन वर्षों की पढ़ाई पहले ही बर्बाद हो चुकी है.ग़ाज़ा में भूख से मौतें भी बढ़ रही हैं. फ़लस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को जानकारी दी कि पिछले 24 घंटों में पाँच लोगों की मौत, कुपोषण और भुखमरी से हुई है, जिनमें दो बच्चे भी हैं.संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने न्यूयॉर्क में कहा, “ऐसी मौतों को रोकने के लिए ज़रूरी है कि मानवीय संगठन लगातार और बड़े पैमाने पर खाद्य सामग्री पहुँचा सकें, ताकि 21 लाख की आबादी तक मदद पहुँच सके. इस आबादी में आधे बच्चे हैं.”कुछ राहत...हालाँकि, 12 मानवीय मिशनों में से आठ मिशन रविवार को बिना रुकावट के पूरे किए गए, लेकिन एक मिशन को अनुमति नहीं मिली और तीन को देर से मंज़ूरी दी गई.प्रवक्ता दुजैरिक ने बताया कि इसराइल ने, आश्रय सामग्री पर लगे प्रतिबन्ध को, पाँच महीने बाद हटाने की घोषणा की है, जिससे 13 लाख से अधिक विस्थापित लोगों को राहत मिलेगी.प्रवक्ता ने फिर भी आगाह किया कि ग़ाज़ा सिटी में, इसराइली सैन्य हमले बढ़ाए जाने से, हज़ारों और लोग विस्थापित हो सकते हैं.मानवीय संगठनों ने स्पष्ट किया है कि ग़ाज़ा में बढ़ते सैन्य हमलों का मानवीय प्रभाव बेहद विनाशकारी होगा. पहले से ही भूख से त्रस्त, विस्थापित और शोकग्रस्त लोगों को दक्षिण की ओर जाने को मजबूर करना दीगर भीषण आपदा का कारण बनेगा, और यह जबरन स्थानांतरण के समान हो सकता है.न्यूनतम ज़रूरतें भी पूरी नहींख़बरों के अनुसार, ग़ाज़ा पट्टी का लगभग 86 प्रतिशत हिस्सा पहले ही विस्थापन आदेशों या सैन्यकृत क्षेत्रों के दायरे में है. शेष क्षेत्रों में भारी भीड़ है और वहाँ जीवन यापन की न्यूनतम आवश्यकताएँ भी पूरी नहीं हो पा रही हैं.मानवीय संगठनों ने कहा है मार्च की शुरुआत से अब तक, तम्बू, तिरपाल और बिस्तव जैसी आश्रय सामग्री के बिल्कुल भी प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई है. इसी दौरान 7 लाख 80 हज़ार से अधिक लोग एक बार फिर से विस्थापित हो गए हैं.यहाँ बार-बार विस्थापन आदेशों की वजह से लोग अपने पुराने आश्रय पीछे छोड़ने को मजबूर हुए हैं और मौजूदा आश्रय भी जर्जर हो चुके हैं.सुरक्षित आश्रय की ज़रूरत अब बेहद गम्भीर और तात्कालिक हो गई है.स्थाई युद्धविराम पर बललेकिन इसके लिए इसराइली सीमा शुल्क, सीमा पार पहुँच और सुरक्षा से जुड़ी व्यवस्थित रुकावटों को हटाना ज़रूरी है.संयुक्त राष्ट्र और मानवीय साझीदार संगठनों ने एक बार फिर यह अपील दोहराई है कि तत्काल और स्थाई युद्धविराम लागू किया जाए तथा सभी बन्धकों को बिना शर्त और तुरन्त रिहा किया जा सके.उन्होंने कहा कि ग़ाज़ा में मानवीय पहुँच बाधित नहीं होनी चाहिए और सहायता अभियानों को बिना रोक-टोक चलने देना चाहिए.

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