• Aapki Saheli
  • Astro Sathi
  • Business Khaskhabar
  • ifairer
  • iautoindia
1 of 1

तालेबान के चार वर्ष, अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं के पूर्ण बहिष्कार की तस्वीर

 - World News in Hindi

वर्ष 2021 में, एक अफ़ग़ान महिला राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ सकती थी, अलबत्ता किसी महिला ने ऐसा किया नहीं. वर्ष 2025 में पहुँचें तो, महिलाएँ सार्वजनिक रूप से अपनी बात भी नहीं कह सकतीं. तालेबान का एक फ़रमान लागू है जो महिलाओं की सार्वजनिक स्थान पर अभिव्यक्ति को नैतिक उल्लंघन बताता है. 15 अगस्त 2021 को तालेबान लड़ाकों ने राजधानी काबुल पर फिर से क़ब्ज़ा कर लिया था, जिसके चार वर्ष बाद, लैंगिक समानता एजेंसी यूएन महिला (UN Women) ने चेतावनी दी है कि अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं और लड़कियों की स्थिति लगातार असहनीय होती जा रही है.और तत्काल कार्रवाई नहीं की गई तो यह असहनीय वास्तविकता, सामान्य बात हो जाएगी और महिलाओं व लड़कियों को पूरी तरह से बहिष्कृत कर दिया जाएगा.यूएन महिला ने सोमवार को एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, "तालेबान एक ऐसे नज़रिए वाले समाज को प्राप्त करने के पहले से कहीं अधिक निकट हैं जिसमें, महिलाओं के लिए सार्वजनिक जीवन कोई जगह नहीं है."महिलाओं का निजी स्थान सीमित Tweet URL

तालेबान ने महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों को प्रतिबन्धित करने वाले जो आदेश पारित किए गए हैं, वे एक चक्र बनाते हैं जो महिलाओं को उनके निजी स्थानों यानि घरों तक सीमित कर देता है और उनके हालात की कमज़ोरी को बढ़ाता है.ज़्यादातर मामलों में, महिलाओं को महरम या पुरुष अभिभावक (सम्बन्धी) के बिना, सार्वजनिक स्थानों पर स्वतंत्र रूप से घूमने की अनुमति नहीं है. यह पाबन्दी महिला मानवीय कार्यकर्ताओं पर भी लागू होती है.तालेबान ने महिलाओं और लड़कियों की माध्यमिक और उच्च शिक्षा पर भी प्रतिबन्ध लगा दिया है.कुल मिलाकर, इन दोनों आदेशों का समाज के सभी स्तरों पर गहरा प्रभाव पड़ेगा. अब, महिलाओं के लिए शैक्षणिक डिग्री प्राप्त करना व्यावहारिक रूप से ना केवल असम्भव है, बल्कि उनके लिए रोज़गार या कामकाज हासिल करना और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में प्रवेश लेना भी बेहद कठिन है.इसके परिणाम स्वरूप, 78 प्रतिशत से अधिक अफ़ग़ान महिलाएँ शिक्षा, रोज़गार या प्रशिक्षण से वंचित हैं.इसका मतलब है कि देश का लगभग आधा कार्यबल, अर्थव्यवस्था में मापने योग्य तरीक़े से योगदान नहीं दे रहा है. यह एक ऐसे देश के लिए एक बड़ी समस्या है जिसकी अर्थव्यवस्था, प्रतिबन्धों और जलवायु झटकों से तबाह हो चुकी है.जीवन-मरण का मामलालेकिन इन हालात से केवल अर्थव्यवस्था ही प्रभावित नहीं है. कुछ मामलों में, ये आदेश सचमुच महीलाओं के जीवन-मरण का मामला बन सकते हैं.संयुक्त राष्ट्र एजेंसी – UN Women ने कहा है, "परिणाम विनाशकारी हैं. महिलाओं की ज़िन्दगी छोटी हो रही है और वो कम स्वस्थ जीवन जी रही हैं."उदाहरण के लिए स्वास्थ्य सेवा को ही बात करें तो, अगर महिलाओं को उच्च शिक्षा में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी, तो वे डॉक्टर नहीं बन सकतीं. और अगर महिलाओं को पुरुष डॉक्टरों से इलाज कराने पर प्रतिबन्ध लगा दिया जाता है, तो वे स्वस्थ जीवन जीने की उम्मीद नहीं कर सकतीं. कुछ क्षेत्रों में ऐसा है भी.यूएन वीमेन का अनुमान है कि अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं के लिए स्वास्थ्य सेवा प्राप्त करने में आने वाली बाधाओं के कारण, 2026 तक मातृ मृत्यु दर में 50 प्रतिशत की वृद्धि होगी.बाल विवाह भी आम होता जा रहा है, और महिलाओं को घर के अन्दर व बाहर, हिंसा का सामना करना पड़ रहा है.फिर भी नज़र आ रही है मज़बूती © WHO Afghanistan सिर्फ़ सार्वजनिक रूप से ही महिलाओं की आवाज़ को नज़रअन्दाज़ नहीं किया जा रहा है – 62 प्रतिशत महिलाओं को लगता है कि घरों के फ़ैसलों में भी उनकी कोई अहमियत नहीं है.यूएन वीमेन इस बात पर ज़ोर देती है कि उम्मीद के मुताबिक़ कुछ नहीं होने के बावजूद, अफ़ग़ान महिलाएँ मज़बूत बनी हुई हैं. वे एकजुटता के पलों और एक अलग भविष्य की उम्मीद की तलाश में रहती हैं.एक महिला ज़मीनी स्तर पर एक नेतृत्व संगठन चलाती थीं, मगर उस संगठन को मिलने वाली पूरी सहायता धनराशि 2022 में ख़त्म हो गई. उसके बावजूद ये महिला,छोटे-छोटे तरीक़ों से महिलाओं का समर्थन करने के लिए काम करना जारी रखे हुए है.उन्होंने कहा, "मैं एक महिला के रूप में मज़बूती से खड़ी रहूँगी और अन्य अफ़ग़ान महिलाओं का समर्थन करती रहूँगी. मैं दूर-दराज़ के इलाक़ों में जाती हूँ और [महिलाओं] की कहानियाँ एकत्र करती हूँ, उनकी समस्याएँ सुनती हूँ और इससे उन्हें उम्मीद मिलती है. मैं अपनी तरफ़ से पूरी कोशिश करती हूँ और इससे मुझे भी उम्मीद मिलती है."एक ख़तरनाक मिसालकुल मिलाकर, 2021 से अब तक, लगभग 100 ऐसे आदेश जारी और लागू किए गए हैं जो महिलाओं और लड़कियों के समाज में आवागमन पर प्रतिबन्ध लगाते हैं. चार वर्षों में, एक भी आदेश वापिस नहीं लिया गया है.अफ़ग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र महिला की प्रतिनिधि सुसान फ़र्ग्यूसन का कहना है कि प्रगति की इस कमी को अफ़ग़ान सन्दर्भ से परे के दायरे में समझा जाना चाहिए.उन्होंने कहा, "यह वास्तविकता केवल अफ़ग़ान महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों और भविष्य के बारे में नहीं है. यह इस बारे में है कि एक वैश्विक समुदाय के रूप में हम किसके लिए खड़े हैं.""अगर हम अफ़ग़ान महिलाओं और लड़कियों की ख़ामोशी बने रहने देते हैं, तो हम यह सन्देश देते हैं कि हर जगह महिलाओं और लड़कियों के अधिकार बेकार हैं. और यह एक बेहद ख़तरनाक मिसाल है."

यह भी पढ़े

Web Title-
खास खबर Hindi News के अपडेट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक और ट्विटर पर फॉलो करे!
(News in Hindi खास खबर पर)
Tags: hindi news, news in hindi, breaking news in hindi, real time news, hindi news, news in hindi, breaking news in hindi, real time news, hindi news, news in hindi, breaking news in hindi, real time news, hindi news, news in hindi, breaking news in hindi, real time news, hindi news, news in hindi, breaking news in hindi, real time news, hindi news, news in hindi, breaking news in hindi, real time news, hindi news, news in hindi, breaking news in hindi, real time news, hindi news, news in hindi, breaking news in hindi, real time news, hindi news, news in hindi, breaking news in hindi, real time news, hindi news, news in hindi, breaking news in hindi, real time news, hindi news, news in hindi, breaking news in hindi, real time news, hindi news, news in hindi, breaking news in hindi, real time news
Khaskhabar.com Facebook Page:

प्रमुख खबरे

आपका राज्य

Traffic

जीवन मंत्र

Daily Horoscope

वेबसाइट पर प्रकाशित सामग्री एवं सभी तरह के विवादों का न्याय क्षेत्र जयपुर ही रहेगा।
Copyright © 2025 Khaskhabar.com Group, All Rights Reserved