• Aapki Saheli
  • Astro Sathi
  • Business Khaskhabar
  • ifairer
  • iautoindia
1 of 1

विकासशील देशों में लैंगिक समानता के लिए, सालाना 420 अरब डॉलर की कमी

 - World News in Hindi

विकासशील देशों में महिलाओं की प्रगति के लिए ज़रूरी लैंगिक समानता प्राप्त करने के प्रयासों के लिए, हर साल लगभग 420 अरब डॉलर की भारी वित्तीय कमी का सामना करना पड़ रहा है. इसका मतलब है कि महिलाओं और लड़कियों के लिए बनाए गए कार्यक्रमों और सेवाओं को लगातार पर्याप्त धन नहीं मिल पा रहा है. दुनिया भर में महिला कल्याण के लिए कार्यरत यूएन संगठन – UN Women स्पष्ट शब्दों में कहा है कि "रक़म उन महिलाओं और लड़कियों तक नहीं पहुँच रही, जिन्हें इसकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत है."इस गम्भीर अन्तर को पाटने के लिए संगठन ने, अगले दस वर्षों तक लक्षित और निरन्तर निवेश किए जाने की मांग की है.इसमें लैंगिक ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए बजट तैयार करना, बच्चों और बुज़ुर्गों की देखभाल से जुड़े सार्वजनिक देखभाल व्यवस्थाओं जैसे कार्यक्रमों में निवेश करना और ऋण के बोझ से दबे देशों को राहत देना शामिल है.स्पेन के सेविया में चल रहे 'विकास के लिए वित्त पोषण पर चौथे अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन – FFD4' में सदस्य देशों ने जो दस्तावेज़ 'Compromiso de Sevilla' अपनाया है उसे इस दिशा में एक सकारात्मक क़दम माना जा रहा है. इसमें लैंगिक समानता को वित्तीय उपलब्धता का अहम हिस्सा बनाने की प्रतिबद्धता दोहराई गई है.यूएन वीमेन की उप कार्यकारी निदेशिक नियारादज़यी गुम्बोनज़वांडा ने कहा कि लैंगिक समानता के लिए सिर्फ़ वादे नहीं, बल्कि ठोस निवेश, नीति-सुधार और ऐसा नेतृत्व चाहिए जो महिलाओं को बोझ नहीं, बल्कु उन्हें भविष्य के रूप में देखे. UNDP Afghanistan लैंगिक समानता में धीमी प्रगतिइस बीच मार्च 2025 में हुए एक सर्वेक्षण के अनुसार, दुनिया भर में लैंगिक समानता की धीमी प्रगति को लेकर चिन्ता में ख़ासी की बढ़ोतरी हुई है.यूएन वीमेन द्वारा 150 से अधिक सरकारी रिपोर्टों से जुटाए गए आँकड़े बताते हैं कि हर चार में से एक देश में, महिलाओं के अधिकारों के ख़िलाफ़ प्रतिगामी रुख़ देखने को मिल रहा है. साथ ही, लैंगिक आधारित हिंसा में भी तेज़ी से बढ़ोतरी हो रही है.दशकों के दौरान हुई प्रगति ख़तरे मेंआज दुनिया में 60 करोड़ से अधिक महिलाएँ और लड़कियाँ, युद्ध क्षेत्रों के बेहद क़रीब इलाक़ों में रह रही हैं. लैंगिक हिंसा में वृद्धि हो रही है और डिजिटल दुनिया में महिलाओं की भागेदारी घट रही है.हालात इतने गम्भीर हैं कि दशकों की कड़ी मेहनत से प्राप्त हुई प्रगति, अब एक बार फिर ख़तरे में नज़र आ रही है.यूएन वीमेन ने बीजिंग घोषणा पत्र और कार्य योजना के 30 साल पूरे होने और सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1325 के 25 साल पूरे होने के ऐतिहासिक अवसर पर, वैश्विक समुदाय से साहसिक नेतृत्व और मज़बूत प्रतिबद्धता के साथ आगे आने की आग्रह किया है.यह अपील सिर्फ़ भावनात्मक नहीं, बल्कि ठोस तथ्यों पर आधारित है. वर्ष 2023 में, हर दिन क़रीब 800 महिलाओं की मौत, गर्भावस्था से जुड़े ऐसे कारणों से हुई, जिन्हें रोका या टाला जा सकता था. उनमें से 61 प्रतिशत मौतें, केवल 35 युद्धग्रस्त देशों में हुईं. © PAHO/WHO/David Lorens Mentor 11.9 करोड़ लड़कियाँ स्कूल से वंचितवहीं, वैश्विक स्तर पर हर 10 मिनट में एक महिला या लड़की अपने साथी या किसी क़रीबी व्यक्ति के हाथों जान गँवा रही है. 2023 में जानबूझकर की गई ऐसी हत्याओं की संख्या 85 हज़ार थी.लेकिन चुनौती केवल हिंसा तक सीमित नहीं है. दुनियाभर की महिलाएँ अब भी पुरुषों की तुलना में 20 प्रतिशत कम वेतन पा रही हैं, और 2024 में महिलाओं की तुलना में, 27.7 करोड़ अधिक पुरुषों ने इन्टरनैट का उपयोग किया.वहीं, शिक्षा के क्षेत्र में भी तस्वीर निराशाजनक है, अब भी 11.9 करोड़ लड़कियाँ स्कूल से वंचित हैं और 39 प्रतिशत युवा महिलाएँ अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी नहीं कर पातीं.राजनीति में भी महिलाओं की भागेदारी की रफ़्तार बेहद धीमी है. आज लगभग 75 प्रतिशत सांसद पुरुष हैं, और 103 देशों में अब तक कोई महिला राष्ट्रप्रमुख नहीं बनी.अगर इसी गति से प्रगति जारी रही, तो शीर्ष नेतृत्व में लैंगिक समानता हासिल करने में 130 साल और लगेंगे.जलवायु संकट और लैंगिक असमानताजलवायु संकट ने भी लैंगिक असमानता को और अधिक गम्भीर बना दिया है. अनुमान है कि 2050 तक जलवायु से जुड़ी आपदाएँ, 15 करोड़ 80 लाख महिलाओं और लड़कियों को चरम ग़रीबी की ओर धकेल सकती हैं.यूएन वीमैन ने, इन तमाम चुनौतियों के बीच, 15 ठोस कार्रवाइयों का प्रस्ताव रखा है, जिनमें युद्धग्रस्त क्षेत्रों में शान्ति प्रयासों में महिलाओं की भागेदारी सुनिश्चित करने से लेकर, अवैतनिक देखभाल कार्य को औपचारिक अर्थव्यवस्था में लाने, समान वेतन क़ानूनों को सख़्ती से लागू करने और शिक्षा, डिजिटल सशक्तिकरण, स्वास्थ्य, जलवायु नीति और राजनैतिक नेतृत्व में महिलाओं की भूमिका को मज़बूत करने जैसे व्यापक लक्ष्य शामिल हैं.

यह भी पढ़े

Web Title-
खास खबर Hindi News के अपडेट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक और ट्विटर पर फॉलो करे!
(News in Hindi खास खबर पर)
Tags: hindi news, news in hindi, breaking news in hindi, real time news, hindi news, news in hindi, breaking news in hindi, real time news, hindi news, news in hindi, breaking news in hindi, real time news, hindi news, news in hindi, breaking news in hindi, real time news, hindi news, news in hindi, breaking news in hindi, real time news, hindi news, news in hindi, breaking news in hindi, real time news, hindi news, news in hindi, breaking news in hindi, real time news, hindi news, news in hindi, breaking news in hindi, real time news, hindi news, news in hindi, breaking news in hindi, real time news, hindi news, news in hindi, breaking news in hindi, real time news, hindi news, news in hindi, breaking news in hindi, real time news, hindi news, news in hindi, breaking news in hindi, real time news, hindi news, news in hindi, breaking news in hindi, real time news, hindi news, news in hindi, breaking news in hindi, real time news
Khaskhabar.com Facebook Page:

प्रमुख खबरे

आपका राज्य

Traffic

जीवन मंत्र

Daily Horoscope

वेबसाइट पर प्रकाशित सामग्री एवं सभी तरह के विवादों का न्याय क्षेत्र जयपुर ही रहेगा।
Copyright © 2025 Khaskhabar.com Group, All Rights Reserved